भिलाई। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश में चुनावी बैठक के दौरान कार्यकर्ताओं को एक नया संदेश देने की कोशिश की है। यह संदेश उन सभी राज्यों के लिए भी हैं, जहां आने वाले दिनों में वोटिंग होनी है। शाह ने कहा है कि ‘रूठे फुफाओं को मनाने की बजाए कार्यकर्ता जमीन पर उतरकर काम करें और लक्ष्य पर फोकस रहें। उन्हें (रूठे फुफाओं) मनाने की जरूरत नहीं है। वे खुद ब खुद पार्टी का प्रचार करते नजर आएंगे। उन्होंने बूथ के हर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देकर सक्रिय करने और बूथ स्तर पर पार्टी से जुड़े ज्यादा से ज्यादा लोगों से वोट करवाने समेत कई नए फार्मूले दिए।
टिकट वितरण के बाद आमतौर पर सभी दलों में दावेदार नाराजगी जाहिर करते हैं। शाह ने ऐसे ही कार्यकर्ताओं को ‘रूठे फूफा’ का सम्बोधन दिया है। मध्यप्रदेश और राजस्थान की ही तरह छत्तीसगढ़ में भी भाजपा टिकट के कई दावेदार रूठे फूफा बने बैठे हैं। कई दावेदारों ने तो बगावती तेवर भी अख्तियार कर रखा है। नामांकन फार्म लेकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में भी उतर रहे हैं। शाह ने ऐसे लोगों को सम्बोधित कर कार्यकर्ता और प्रत्याशियों को स्पष्ट नसीहत दी है कि ऐसे लोगों के पीछे वक्त खराब करने की बजाए वे पार्टी और जीत के लिए काम करें। अमित शाह ने बीते कल चुनाव तैयारियों की समीक्षा की और पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र भी दिया।
शाह का कहना था कि अगर वो (नाराज दावेदार) मान रहे हैं तो ठीक है, वरना आगे बढ़ो। फूफा अपने आप पार्टी का प्रचार करते हुए नजर आएंगे। अभी जो लोग पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं, उनसे जरूर संपर्क करें। उनको मनाने की कोशिश करें, जिससे वो अपना नाम वापस ले लें। अगर जरूरत हो तो मुझसे भी बात कराएं। शाह ने कहा, जिन लाभार्थियों को केन्द्रीय योजनाओं का लाभ मिला है, उनसे सीधे संपर्क करो। उनका वोट हर हालत में डले, इसके प्रयास करो। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ वह इकलौता राज्य है, जहां दो चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में कुल 20 सीटों पर 7 नवम्बर को वोटिंग होनी है। इन 20 सीटों के लिए फिलहाल राजनीतिक दल पूरा जोर लगा रहे हैं। उसके बाद दूसरे चरण में बाकी बची 70 सीटों पर मतदान होगा। भाजपा इस बार छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। पार्टी का पूरा फोकस प्रारम्भ से ही बस्तर पर रहा है, जहां पहले चरण में वोटिंग होगी। पार्टी के स्टार प्रचारक भी लगातार चुनावी दौरे कर माहौल बनाने में जुटे हैं।

आग में घी का काम करेगा बयान
भाजपा आलाकमान ने अगस्त महीने में अचानक ही प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर चौंकाया था। इस सूची को लेकर कार्यकर्ताओं में ज्यादा आक्रोश नहीं उपजा, क्योंकि ये वे सीटें थीं, जहां पार्टी जीत के लिए काफी जद्दोजहद करती रही है। लेकिन दूसरी से लेकर अंतिम सूची जारी होने के तक पूरे छत्तीसगढ़ में कार्यकर्ता और टिकट दावेदारों में नाराजगी पसर गई। भाजपा ने इस बार परंपरा और लीक से अलग हटकर टिकट वितरण किया, जिसे भाजपाई पचा नहीं पाए। यही वजह है कि काफी संख्या में कार्यकर्ताओं ने बगावत का बिगूल फूंक दिया। कई क्षेत्रों में कार्यकर्ता घर बैठ गए हैं। यहां तक कि प्रत्याशियों को भीड़ जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में अमित शाह का रूठे फूफा वाला बयान आग में घी का काम कर सकता है।
इस चुनाव से तय होगा भविष्य…
अमित शाह ने कहा है कि इस बार का चुनाव साधारण चुनाव नहीं है। इस चुनाव से प्रदेश के विकास के साथ साथ भविष्य भी तय होगा। इसलिए सभी को यह चुनाव मिलजुलकर लडऩा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को समझाया कि मतदान के दिन पहले प्रत्येक कार्यकर्ता अपना वोट डाले, उसके बाद अपने परिवार का एक-एक वोट डलवाए और बाद में कम से कम तीन परिवारों के वोट डलवाए। उन्होंने कांग्रेस का वोट काटने के लिए उन प्रत्याशियों का सपोर्ट करने की समझाइश भी दी, जो भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। बूथ प्रबंधन पर खास तौर पर फोकस करने को भी कहा। राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाजपा ने जिस तरह से टिकट वितरण किया है, उससे पार्टी को फायदा होने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि बहुधा नए चेहरों को अवसर दिया गया है।
एमपी की तर्ज पर उतारे सीनियर नेता
भाजपा ने इस बार मध्यप्रदेश में केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर सांसदों तक को टिकट दिया है। कई सीनियर नेताओं को भी टिकट दी गई है। इसी पैटर्न को पार्टी ने छत्तीसगढ़ जैसे छोटे पर राज्य पर भी लागू किया है। यहां भी सांसदों और सीनियर नेताओं को टिकट देकर भाजपा ने बड़ा दाँव चला है। इसका प्रभाव आने वाले लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राज्य में भाजपा के 15 वर्षीय शासनकाल के दौरान जहां जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई, वहीं, सेकेंड लाइन पूरी तरह से खत्म हो गई। इस वजह से कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भाजपा आक्रामक रूख अख्तियार नहीं कर पाई। इसी को देखते हुए इस बार युवा और नए चेहरों को मौका मिला है, ताकि दूसरी पंक्ति तैयार हो और विपरीत हालातों में कार्यकर्ता संघर्ष कर पार्टी को मजबूत कर सकें।




