नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी, जिसमें अतीक और अशरफ की हत्या की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक कमेटी के गठन की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस मामले को 28 अप्रैल के लिए लिस्ट करने का निर्देश दिया है। यह याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की है, जिन्होंने यूपी में 2017 के बाद से हुए 183 एनकाउंटरों की जांच की मांग की है। तिवारी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच के सामने इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले को 28 अप्रैल को लिस्ट करने के निर्देश दिए।
मामले में एक और याचिका दायर है
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी सुप्रीम कोर्ट में लेटर पिटिशन दाखिल करके अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या मामले की सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की है। अमिताभ ठाकुर ने याचिका में कहा है कि ‘भले ही अतीक अहमद और उसका भाई अपराधी हों मगर जिस तरह से उनकी हत्या हुई, उससे इस घटना के राज्य पोषित होने की पर्याप्त संभावना दिखती है।

सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती मामले में फैसले की जानकारी पर वेब पेज बनाया
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले से जुड़ी दलीलों, लिखित प्रतिवेदनों और फैसले की जानकारी मुहैया कराने वाला एक वेब पेज सोमवार को शुरू किया। संविधान के ‘मूल ढांचे’ की अहम अवधारणा पेश करने वाले इस मामले पर सुनाए गए फैसले को 24 अप्रैल को 50 वर्ष पूरे हो गए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा, ”हमने एक वेब पेज समर्पित किया है, जिसमें केशवानंद मामले से संबंधित सभी लिखित प्रतिवेदन और अन्य जानकारी है, ताकि विश्व भर के शोधकर्ता इसे पढ़ सकें। इस मामले में फैसला 50 साल पहले यानी 24 अप्रैल, 1973 को सुनाया गया था।

अदालत कक्ष में मौजूद वकीलों ने इस कदम की सराहना की और कहा कि इससे कानून शोधकर्ताओं, छात्रों और वकीलों को काफी मदद मिलेगी। 13 जजों की एक पीठ ने छह के मुकाबले सात के बहुमत से ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए संविधान के ‘मूल ढांचे’ की अवधारणा रखी थी। उसने संसद की संशोधन शक्ति को प्रतिबंधित करते हुए फैसला सुनवाया था कि वह संविधान की मूल संरचना को नहीं छू सकती।