-दीपक रंजन दास
यही हिन्दुस्तानी राजनीति है। यहां ज्यादा बोलना हमेशा खतरनाक होता है। नेता एक मुद्दा उठाने की बजाय कई-कई मुद्दे एक साथ उठा लेता है और फिर विपक्ष उसमें से अपना पसंदीदा मुद्दा चुन लेता है। इसके बाद नेता ट्रोल हो जाता है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और कद्दावर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शासकीय नौकरियों का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पुलिस के 8-10 हजार पद खाली हैं। शिक्षकों के 60 हजार पद रिक्त हैं। एक लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियों पर नियुक्तियां की जानी है। जब इतने सारे सरकारी पद खाली हैं तो प्रदेश का विकास कैसे संभव होगा। पर इसके साथ ही उन्होंने इस मुद्दे को विस्तार दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ आबादी के मामले में देश में 22वें स्थान पर है जबकि अपराध के नाम पर 10वें पायदान पर। उन्होंने कई और मुद्दे भी उठाए। उनमें से एक था उत्तरप्रदेश की बुलडोजर राजनीति का। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी बुलडोजर चलाने की जरूरत है। तुष्टिकरण की राजनीति को बंद करना पड़ेगा। उनका इशारा संभवत: धर्मपरिवर्तन को लेकर था। इतने सारे मुद्दे कोई एक साथ उठाता है क्या? इनमें से छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री ने एक बात पकड़ ली। वह थी बुलडोजर चलाए जाने की। उन्होंने कहा कि जिसे अपने घरों पर बुलडोजर चलवाना है, केवल वही भाजपा का समर्थन करेगा। साथ ही उन्होंने मौके पर चौका-छक्का भी जड़ दिया। उन्होंने भाजपा से पूछ ही लिया कि उनके नेता कौन हैं – मोदी या योगी? मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही कहा कि मोदी-शाह की जोड़ी ठंडी हो रही है। शाह हाशिए पर जा चुके हैं और मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ भी गिरने लगा है। अब योगी लाइमलाइट में हैं। तो क्या भाजपा योगी में अपना नया तारणहार ढूंढ रही है? मुख्यमंत्री ने कहा कम पर तीर निशाने पर लगा। अब भाजपाई खुद आपस में बहस करने लगे हैं कि क्या विधानसभा चुनाव में योगी का जादू चलाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में लोग बढ़ते अपराधों से त्रस्त हैं। व्हाट्सअप पर दिन भर यही खबरें चल रही हैं। समाचार पोर्टलों पर भी इन्हीं खबरों का अंबार है। इस चूहा दौड़ में बड़े बड़े राष्ट्रीय मीडिया तक शामिल हैं। उनकी टीम भी व्हाट्सअप से ही समाचार उठा रही है। सुबह का अखबार पढऩे वाले तो पहले ही हाशिए पर जा चुके हैं। जितना तोड़ू-फाड़ू (ब्रेकिंग) न्यूज होता है वह पहले ही ऑनलाइन चल चुका होता है। पॉजीटिव खबरों को अब लेवाल नहीं मिल रहे। सरकारी योजनाओं को भी अब कोई नहीं पढ़ता। केवल गली-मोहल्लों के सीनियर सिटिजन ही सुबह एक साथ बैठकर अखबार पढ़ते हैं और फिर अपने-अपने घर वालों को जरूरी खबरें ट्रांसफर करते हैं। वैसे भी इस पीढ़ी की सुनता ही कौन है। बृजमोहन से गलती यह हो गयी कि वो काम की बात करते-करते बेकार की बात कह गए और मुख्यमंत्री ने बेकार की बात को पकड़कर उसका चुटकुला बना दिया।
Gustakhi Maaf: भाजपा ने कहा ये और कांग्रेस पकड़ा वो
