दीपक रंजन दास
छत्तीसगढ़ से एक खास उम्र के युवा छुट्टियों में हमेशा गोवा जाने का प्लान बनाते हैं. इन युवाओं में सबसे बड़ी संख्या भिलाई-दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर के युवाओं की होती है. छत्तीसगढ़ के इन शहरों में होस्टल या पीजी में रहने वाले विद्यार्थियों की संख्या काफी है. पहले तो वहां का समुद्रतट ही इन्हें बुलाता था पर धीरे-धीरे वहां की लाइफ स्टाइल, ईजी सेक्स और ड्रग्स उनका प्रमुख आकर्षण बन गया. समूह में मस्ती करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. देर रात की पार्टियां, नशीले पदार्थों का सेवन और फिर छिटपुट अपराध का अपना एक अलग सिलसिला होता है. पहले जहां ये ग्रुप केवल लड़कों के होते थे वहीं अब इनमें लड़कियां भी बराबर की भागीदारी कर रही हैं. कुछ साल पहले हुक्का पार्लर क्रेज आया था. पूत के पांव पालने में दिख गए थे. यहां युवतियां जमकर हुक्का के कश लगाती थीं. हुक्का का बिल भरने के लिए ही शायद, साथ में कोई लड़का होता था. शहर में एक नाइट क्लब जैसी सुविधा भी टीआई मॉल में शुरू हुई. वहां भी बच्चे नशीले पदार्थों का प्रयोग करते पाए गए. इनका खुलासा भी तब हुआ जब यहां मारपीट की घटना के बाद पुलिस पहुंची. लगभग दो दशक पहले राजधानी रायपुर में रेव पार्टियों का चलन प्रारंभ हुआ था. देर रात यहां से नशे में चूर युवा निकलते थे. नशा इतना होता था कि इनकी गाड़ी डिवाइडर पर चढ़ जाती थी. ऐसे कई मामले पुलिस के खातों में दर्ज हैं. पर किसी ने भी इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया. इन शहरों से बच्चे पढ़ने लिखने के लिए बाहर जाते रहे और वहां की संस्कृति को अपने साथ यहां लाते रहे. इनमें से कुछ बच्चे नशाखोरी की चपेट में भी आए और उन्होंने नशे का एक रूट भी तैयार कर लिया. अब यह एक स्वतंत्र व्यवसाय बन गया है. रायपुर के हवाईअड्डे पर पिछले दिनों एक युवती पकड़ी गई थी. उसके कब्जे से ड्रग्स मिला था. बताया गया कि वह ड्रग्स की डिलिवरी देने के लिए गोवा जा रही थी. अब दो लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ पकड़ी गई हैं. इनके कब्जे से भी ड्रग्स मिले हैं. अब यह बताया गया कि ये लड़कियां गोवा से ड्रग्स लेकर आई थीं जिसे वे न्यू ईयर पार्टी में खपाने वाली थीं. यह दल 20 लाख की एक कार में बैठकर धंधा करता था. उनकी गाड़ी नाइट क्लब, पॉश होटल के सामने या उसकी पार्किंग में जा खड़ी होती थी और ग्राहक आकर अपना माल ले जाते थे. जाहिर है कि यह एक मजबूत नेटवर्क है जिसमें क्रेता और विक्रेता दोनों एक दूसरे के जानते हैं. पुलिस को टिप तभी मिलती है जब कोई असंतुष्ट ग्राहक या प्रतिस्पर्धी विक्रेता इसकी सूचना उसे देता है. उद्देश्य एक ही है – फास्ट मनी. लोगों को येन-केन प्रकारेण मालदार बनना है. फिलहाल तीन ही रास्ते हैं – जमीन, सट्टा और ड्रग्स. इसे रोकना अकेले पुलिस के लिए संभव नहीं.
Gustakhi Maaf: गोवा और छत्तीसगढ़ के बीच ड्रग्स का बहनापा




