मुंबई। भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए रविवार को INS Mormugao को शामिल किया जा रहा है। 163 मीटर लंबाई, 17 मीटर चौड़ाई और 7500 टन वजनी युद्धपोत के नौसेना में शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत में तीन गुना इजाफा हो जाएगा। जहाज को चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों से ऊर्जा प्राप्त होगी, जो इसे 48 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार देगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में आधुनिक सेंसर और रडार से लैस युद्धपोत इंडियन नेवी को सौंपेंगे।
आधुनिक हथियारों से लैस स्वदेशी मिसाइल विध्वंस INS Mormugao आज भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच इस युद्धपोत का इंडियन नेवी में शामिल होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड पर बनाए गए INS Mormugao में अनगिनत खूबियां हैं। इस स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर को आधुनिक युद्ध के लिए बनाया गया है।
यह युद्धपोत भारतीय नौसेना के जंगी जहाजों के बेड़े में सबसे सक्षम और आधुनिक हथियारों से लैस है. इसकी सबसे खास बात ये है कि इसकी बाहरी परत को स्पेशल स्टील से बनाया गया है, ताकि दुश्मन राडार पर इसे लोकेट न कर पाए। INS Mormugao में मध्यम दूरी की सतह से हवा में वार करने वाली SAM मिसाइलें, सतह से सतह पर वार करने वाली STS मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, सुपर रैपिड गन माउंट के अलावा, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम लगे हैं। ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, फोल्डेबल हैंगर डोर्स, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और बो माउंटेड सोनार शामिल है।

15बी श्रेणी के दूसरा स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक मोरमुगाओ जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के समय भी बचाव करने में सक्षम है। इस पर ब्रह्मोस, बराक-8 जैसी 8 मिसाइलें लगाई जाएंगी. देश के सबसे आधुनिक एडवांस्ड गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर में इजरायल का मल्टी फंक्शन सर्विलांस थ्रेट अलर्ट रडार ‘एमएफ-स्टार लगा है। यह कई किलोमीटर दूर से हवा में मौजूद लक्ष्य को पहचान लेगा, जिससे सटीक निशाना लगा सकेंगे। यह उड़ते विमान पर 70 किलोमीटर और जमीन या समुद्र पर मौजूद लक्ष्य पर 300 किलोमीटर दूर से निशाना लगाने में सक्षम है। आईएनएस मोरमुगाओ 127 मिलीमीटर गन से लैस है। इसमें एके-630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम भी है। मोरमुगाओ पर दो आरबीईयू-6000 एंटी सबमरीन रॉकेट लांचर भी लगे हैं। इस पर बेहद खराब मौसम के दौरान भी नौसेना के हेलीकॉप्टर लैंड कर सकेंगे।




