-दीपक रंजन दास
कहते हैं इश्क में सब जायज है. रास्ते से प्रतिद्वंद्वियों को हटाने के लिए आशिक सौ झूठ बोल सकता है. मुखौटे पर मुखौटा बदल सकता है. यही बात चुनाव के मैदान पर भी लागू होती है. इसका एकमात्र उद्देश्य चुनाव जीतना होता है. चुनाव के दौरान प्रतिस्पर्धी किसी जादूगर की तरह अपनी टोपी से कभी खरगोश तो कभी कबूतर निकालता है. चुनाव है तो संभव है. 2018 के विधानसभा चुनाव में अपना सबकुछ लुटा बैठी भाजपा इसके बाद हुए लगभग सभी उपचुनाव हार कर बैठी है. भानुप्रतापपुर के लोकप्रिय विधायक मनोज मंडावी के निधन से खाली हुई इस सीट पर स्वाभाविक रूप से कांग्रेस ने उनकी पत्नी सावित्री मंडावी को उपचुनाव में उतारा था. कांग्रेस को उम्मीद थी कि फकत एक साल के लिए विधायक बनने के लिए सहानुभूति लहर ही काफी होगी. पर भाजपा ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया. भाजपा ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी. भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम की नामांकन रैली में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, भानुप्रतापपुर विधानसभा प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, कांकेर सांसद मोहन मंडावी, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी राजपूत, जिलाध्यक्ष सतीश लाठिया, वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय समेत अन्य नेता भी शामिल हुए. नामांकन प्रपत्र दाखिल करते समय ये सभी उपस्थित थे. भाजपा के पक्ष में जबरदस्त माहौल भी बना और लोगों को यह लगने लगा कि भाजपा की किस्मत इस बार पलटने वाली है. कांग्रेस के शिविर में खामोशी थी. प्रत्याशी घोषित करने के बाद से पार्टी ने चुप्पी ओढ़ रखी थी. पर यह तूफान से पहले की खामोशी थी. नामांकन वापसी की आखिरी तारीख निकलने के बाद कांग्रेस ने गुगली फेंकी. कांग्रेस ने खुलासा किया कि भाजपा ने जिसे प्रत्याशी बनाया है वो एक किशोरी से गैंग रेप कर उसे देह व्यापार में धकेलने के मामले में नामजद आरोपी है. उसका नाम पीड़िता की डायरी से उजागर हुआ है. उसके खिलाफ पोक्सो एक्ट समेत अलग-अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज है. पुलिस सीडीआर में भी उसका नाम है. जमशेदपुर में घटित इस मामले में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. शेष आरोपियों की तलाश जारी है. कांग्रेस ने चुनाव आयोग के समक्ष आपत्ति दर्ज करा दी है. भाजपा प्रत्याशी पर नामांकन के दौरान की गई घोषणा में इस तथ्य को छिपाने का आरोप है. अब देखना यह है कि भाजपा का अगला कदम क्या होगा. अब तक तो वह अपने प्रत्याशी का बचाव ही कर रही है. क्या भाजपा भानुप्रतापपुर की संभावित जीत का मोह त्याग कर कानून के साथ खड़ी होगी? इस छोटी जीत की कुर्बानी देकर पार्टी की राष्ट्रीय छवि का बचाव करेगी? या फिर चुनाव जीतने की जिद में पार्टी की छवि को दागदार होने देगी? हालांकि दोष सिद्ध होने तक किसी को अपराधी नहीं माना जाना चाहिए, पर जब तक व्यक्ति निर्दोष साबित नहीं हो जाता तब तक उसे राजनीतिक प्रतिनिधित्व से तो दूर रखा ही जाना चाहिए.