बिलासपुर। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले में शुक्रवार को हाथी के हमले में 47 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया। इसके साथ ही पिछले तीन महीने में मध्य प्रदेश की सीमा से लगे जिले में हाथी के हमले में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है। स्थानीय वन विभाग के संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) दिनेश पटेल ने बताया कि घटना सुबह सिवनी वन क्षेत्र के मलाडांड गांव के पास हुई, जब पीडि़त मनरेगा के तहत मजदूरी के लिए घर से बाहर निकला था।
जानकारी के मुताबिक बदीराम पनिका, सहदेव पनिका (50) और रंजीत अरमो मजदूरी का काम निपटाने के बाद अपने घर जा रहे थे, तभी उनका सामना एक हाथी से हो गया। स्थानीय अधिकारी ने बताया कि हाथी ने सहदेव को अपनी सूंड से उठा लिया और उसे फेंक दिया और फिर बदीराम पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
उन्होंने कहा कि सूंड से उठाकर पटके जाने के कारण सहदेव का पैर टूट गया, हालांकि वह रंजीत के साथ भागने में सफल रहा और स्थानीय लोगों को घटना के बारे में जानकारी दी। इसके बाद घायल लोगों को मरवाही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहां से उन्हें गौरेला जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

स्थानीय अधिकारी ने बताया कि इलाज के दौरान बदीराम ने दम तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों को 25 हजार रुपये की तत्काल राहत प्रदान की गई है, जबकि शेष 5.75 लाख रुपये का मुआवजा आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि तीन हाथियों का एक झुंड पड़ोसी अनूपपुर वन मंडल से मरवाही जंगल में आया था और ग्रामीणों पर हमला करने वाला हाथी उसी झुंड का है।
इससे पहले 20 मार्च को क्षेत्र के रुमगा गांव के पास 10 साल की बच्ची को हाथी ने कुचल कर मार डाला था, जबकि 24 मार्च को पारसी गांव के पास इसी तरह के हमले में एक महिला की मौत हो गई थी। राज्य के उत्तरी भाग में मानव-हाथी संघर्ष पिछले एक दशक से चिंता का एक प्रमुख कारण रहा है और पिछले कुछ वर्षों में यह खतरा मध्य क्षेत्र के कुछ जिलों में फैल गया है।
सरगुजा, रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर, महासमुंद, धमतरी और गरियाबंद कुछ ऐसे जिले हैं जो इस खतरे का सामना कर रहे हैं। वन अधिकारियों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में राज्य में हाथियों के हमले में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं।




