भोपाल (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने को मंजूरी दे दी है। साथ ही सात दिन में सरकार को आरक्षण करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा कि प्रदेश में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को ट्रिपल टेस्ट की आधी-अधूरी रिपोर्ट के आधार पर बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संशोधन याचिका दाखिल की थी।
मध्य प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अभी सुनवाई हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने जो आदेश दिया है, उसमें बहुत बड़ी सफलता सरकार को मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की मांग मान ली है। ओबीसी आरक्षण की मांग को भी मान लिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि एक सप्ताह के भीतर ओबीसी आरक्षण किए जाएं। हमारी सरकार की यह बहुत बड़ी जीत है। महाराष्ट्र में भी ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव नहीं हो सके और हमें यह सफलता मिली है। भूपेंद्र सिंह ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया। दरअसल, 10 मई के आदेश के बाद मुख्यमंत्री ने विदेश यात्रा रद्द करते हुए संशोधन याचिका दाखिल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए थे। इस संबंध में उन्होंने खुद दिल्ली जाकर वरिष्ठ वकीलों से विचार-विमर्श किया था। इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से संशोधन याचिका पर कुछ जानकारी मांगी थी, जिसके आधार पर सरकार ने मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी की निकायवार जानकारी कोर्ट के सामने रखी।

ऐसे मिलेगा आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी सूरत में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। राज्यवार देखें तो प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 16 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 20 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इस तरह 36 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होगा। लिहाजा, (50-36=14) 14 फीसदी से ज्यादा नहीं मिलेगा ओबीसी को आरक्षण।

हालांकि, बिना परिसीमन पंचायत चुनाव कराने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने कहा कि अब ऐसा नहीं होगा। जनपद पंचायत अनुसार आरक्षण तय किया जाएगा। इसके अनुसार यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग के जनंसख्या 30 प्रतिशत और जनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या 25 प्रतिशत है तो ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा। वहीं, यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग के जनंसख्या 30 प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या 15 प्रतिशत है तो ओबीसी को 5 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। वहीं, यदि जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या 5-5 प्रतिशत है। यानी ओबीसी की जनंसख्या 40 प्रतिशत है, तो ऐसी स्थिति में ओबीसी वर्ग को 35 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं मिलेगा।
कोर्ट के आदेश के बाद हो रही थी सियासत
सुप्रीम कोर्ट के बिना आरक्षण के चुनाव कराने आदेश के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ओबीसी आरक्षण खत्म करने का आरोप एक-दूसरे पर लगाना शुरू कर दिया। दोनों ही राजनीतिक दलों ने बिना आरक्षण के चुनाव होने पर ओबीसी वर्ग को साधने के लिए 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी नेताओं को देने का ऐलान किया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने की तैयारी तेज कर दी थी। आयोग ने दोनों ही चुनाव जून माह में करा लेने का ऐलान किया है। 24 मई तक चुनाव की अधिसूचना जारी करने की बात कही है। हालांकि अब जानकारों का कहना है कि जनपद पंचायत अनुसार आरक्षण की तैयारी करने को लेकर चुनाव में थोड़ा समय लग सकता है।