बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बुधवार को 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। राज्य सरकार ने पिछले साल अपनी जांच का दायरा बढ़ाकर आयोग का पुनर्गठन किया था। मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी और न्यायमूर्ति आरसीएस सामंत की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया और भाजपा नेता धरमलाल कौशिक द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और आयोग से जवाब मांगा। उनके वकील विवेक शर्मा ने कहा कि अदालत मामले की अगली सुनवाई चार जुलाई को करेगी।
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को माओवादियों ने कांग्रेस नेताओं के एक काफिले पर हमला किया था, जिसमें तत्कालीन राज्य कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल, विपक्ष के पूर्व नेता महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीसी शुक्ला सहित 29 लोग मारे गए थे। 28 मई, 2013 को राज्य में भाजपा सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन इस घातक हमले की जांच के लिए किया गया था। आठ साल बाद झीरम घाटी जांच आयोग के सचिव और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने 6 नवंबर, 2021 को राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

न्यायमूर्ति मिश्रा को पिछले साल आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सत्तारूढ़ कांग्रेस ने हालांकि सवाल किया कि रिपोर्ट सरकार के बजाय राज्यपाल को क्यों सौंपी गई। बघेल ने यह भी दावा किया कि रिपोर्ट अधूरी लग रही थी, क्योंकि आयोग ने सितंबर 2021 में अपनी समय सीमा को और बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कुछ हफ्ते बाद अचानक रिपोर्ट पेश कर दी।
