नई दिल्ली (ए) । अमेरिका की यात्रा पर पहुंची भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने दुनियाभर में कर्ज के जाल में फंसे देशों की हर संभव मदद करते हुए उनका बचाव करने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी और वर्तमान में पैदा हुए भू-राजनैतिक हालात के बीच श्रीलंका जैसे देश जो कर्ज का भारी दबाव झेल रहे हैं उनकी मदद को आगे आने की जरूरत है।
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मालपास के साथ बैठक के दौरान सीतारमण ने कहा कि भू-राजनैतिक तनाव के कारण बढ़ती अनिश्चितता के कारण भारत वैश्विक सुधार को लेकर बेहद चिंतित है। बता दें कि निर्मला सीतारमण आईएमएफ-विश्वबैंक स्प्रिंग मीटिंग-2022 में शामिल होने के लिए अमेरिका के वाशिंगटन में हैं। यहां उन्होंने कहा कि दुनिया में अनिश्चितता के माहौल के बीच सभी देशों को एकजुटता दिखाने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि महामारी और अनिश्चितता के बीच कर्ज का दबाव झेल रहे देशों की मदद के लिए विश्व बैंक को उनके बचाव के लिए आगे आने की जरूरत है। वहीं इस समय श्रीलंका को खास तरजीह देने की आवश्यकता है, जो कि इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

गौरतलब है कि श्रीलंका, भारत का पड़ोसी देश है और इस समय देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से घ्वस्त हो चुकी है। विदेशी मुद्रा भंडार के लगभग खत्म होने के कारण देश जरूरी सामनों का आयात तक नहीं कर पा रहा है और इसके चलते देश में महंगाई आसमान छू रही है। इस बीच आपको बता दें कि श्रीलंका के हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि उसपर 51 अरब डॉलर (3 लाख 82 हजार करोड़ रुपये) का भारी-भरकम कर्ज है और बीते दिनों सरकार ने इसे चुकाने में अपने हाथ खड़े कर दिए। सरकार की ओर से कहा गया कि वो वर्तमान हालात में विदेशी कर्ज चुका पाने में असमर्थ है।

देश छोड़ भारत पहुंचे कई श्रीलंकाई
गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के 18 और नागरिक शुक्रवार को भारत पहुंचे। रिपोर्ट में बताया गया जिले के धनुषकोडी में तड़के पहुंचने वाले इन असहाय परिवारों को मंडपम शरणार्थी शिविर में ठहराया गया है। भारत पहुंचे श्रीलंका के नागरिक देश की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने वाले गंभीर संकट को लेकर निराश दिखे और उन्होंने बताया कि वह वहां मिल्क पाउडर भी वहन नहीं कर पा रहे थे। साथ ही उन्होंने सरकार पर नागरिकों को लेकर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया। इन 18 लोगों में बच्चे भी शामिल थे। यह लोग दो जत्थों में दो नावों के जरिए भारत आए। इसके बाद इन लोगों को अरिचलमुनैई ले जाया गया।