गोरखपुर (एजेंसी)। अब रक्त की एक बूंद से ब्लड कैंसर का पता चल जाएगा। इसके लिए रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर में (आरएमआरसी) फ्लोसाइटोमीटर मशीन मंगाई गई है। अमेरिका से आई यह मशीन एक से दो सप्ताह में काम करना शुरू कर देगी।
दरअसल, कोशिकाओं के अंदर होने वाली बीमारियों और उसमें होने वाले परिवर्तन का पता फ्लोसाइटोमैट्री विधि से लगाया जाएगा। इसी विधि से शरीर में होने वाले पहले स्टेज के ब्लड कैंसर का भी पता लग जाएगा। इस जांच के लिए केवल एक बूंद रक्त की जरूरत होगी।

अभी तक पूर्वांचल में ऐसी कोई मशीन नहीं थी, जो कोशिकाओं के अंदर पनपने वाली बीमारियों और पहले स्टेज के ब्लड कैंसर का पता लगा सके। मरीजों को लखनऊ में एसजीपीजीआई या किसी बड़े निजी अस्पताल में जाना पड़ता था। अब फ्लोसाइटोमैट्री विधि से इसकी जांच हो सकेगी। आरएमआरसी के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि फ्लोसाइटोमीटर मशीन आधुनिक है। एक बूंद रक्त से कोशिकाओं के कण में होने वाली बीमारियों का पता लगा सकती है।

प्रतिरोधक क्षमता का हो सकेगा अध्ययन
डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि इस मशीन के माध्यम से शरीर के अंदर की प्रतिरोधक क्षमता का भी अध्ययन किया जा सकेगा। किडनी ट्रांसप्लांट के समय होने वाली महंगी जांच एचएलए टाइपिंग की भी जांच हो सकेगी। इसके अलावा बच्चों से लेकर किशोरों और युवाओं को लगने वाले वैक्सीन का भी अध्ययन हो सकेगा।
मरीजों की हो सकेगी डाइग्नोसिस
डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि इस मशीन से मरीजों की डाइग्नोसिस में काफी आसानी होगी। डाइग्नोसिस के जरिये यह पता किया जा सकेगा कि लोगों को शुरुआती चरण में शरीर में कौन सी बीमारी असर डाल रही है। इससे समय रहते बीमारियों का पता चल जाएगा और उसके इलाज में आसानी होगी।
इन बीमारियों का चल सकेगा पता
- इम्युनोलॉजी: वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता तथा उसके प्रभाव पर शोध।
- मेडिकल इंटेमोलॉजी: डेंगू, चिकनगुनिया, इंसेफेलाइटिस आदि के वाहक कीटों पर शोध होगा।
- हेल्थ कम्युनिकेशन: बीमारियों की रोकथाम के उपायों के प्रचार-प्रसार का प्रमुख जरिया बनेगा। पूर्वांचल में होने वाली नई बीमारियों का पता चल सकेगा।
आरएमआरसी मीडिया प्रभारी डॉ अशोक पांडेय ने कहा कि फ्लोसाइटोमीटर मशीन से कोशिकाओं के अंदर होने वाली छोटी-छोटी बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। इससे ब्लड कैंसर का भी पता लग जाएगा। यह मशीन अमेरिका से आ गई है, जिसे जल्द ही लगा दिया जाएगा। इसके बाद से पूर्वांचल में होने वाली नई बीमारियों पर शोध किया जा सकेगा।