नई दिल्ली/रायपुर (एजेंसी)। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकारों के द्वारा जजों को बदनाम करने का नया चलन शुरू हो गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। चीफ जस्टिस रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर दो विशेष अनुमति याचिकाओं (एसएलपी) पर विचार करते हुए की। दरअसल, हाईकोर्ट के आदेश पर एक वकील के सवाल उठाए जाने पर पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए यह बात कही।
हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रधान सचिव अमन कुमार सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश को छत्तीसगढ़ सरकार और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता उचित शर्मा ने शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी। शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि प्राथमिकी रद्द करने का तर्क यह है कि आरोप संभावना पर आधारित है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, आप जो भी लड़ाई लड़ें, वह ठीक है लेकिन अदालतों को बदनाम करने की कोशिश मत कीजिए। मैं इस अदालत में भी देख रहा हूं। यह एक नया चलन है। इस पर छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि वे उस बिंदु पर बिल्कुल भी नहीं जा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘नहीं, हम हर दिन देख रहे हैं। आप एक वरिष्ठ वकील हैं, आपने इसे हमसे अधिक देखा है। यह एक नया चलन है। सरकारों ने जजों को बदनाम करना शुरू कर दिया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

यह प्रवृत्ति और प्रतिशोध नहीं : दवे
याचिकाकर्ता के वकील दवे ने कहा, हमने इस मामले में किसी की छवि खराब नहीं की है। कृपया तर्क देखें, यह प्रवृत्ति और प्रतिशोध नहीं है। आरोप आय से अधिक संपत्ति का है। जब प्रतिवादी से पूछताछ की जाएगी और उनसे संपत्ति के बारे में बताने के लिए कहा जाएगा, यदि वह ऐसा करने में सक्षम होंगे तो जांच अपने आप बंद हो जाएगी।
अनुमानों और आरोपों पर उत्पीडऩ नहीं करने दे सकते
पीठ ने कहा, अनुमानों और आपके आरोपों के आधार पर हम इस तरह के उत्पीडऩ को जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते। इस पर दवे ने कहा, यह अनुमान नहीं है। किसी ने 2500 करोड़ रुपये जमा किए हैं। इस पर सीजेआई ने कहा ‘2500 करोड़ की रकम….। एसएलपी में यह अतिशयोक्ति है।
सरकार बदलेगी तो राशि भी बदल जाएगी
दवे ने कहा, लोग जिस तरह पैसा जमा करते हैं वह चौंकाने वाला है। तब सीजेआई ने कहा, इस तरह सामान्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए। कल जब सरकार बदलेगी और दूसरी सरकार आएगी, तब हजार, लाख हो जाएंगे। द्विवेदी ने अदालत को बताया कि सेवा में शामिल होने के समय प्रतिवादी के पास 11 लाख रुपये की संपत्ति थी। लेकिन अब उसके पास 2.76 करोड़ की सात संपत्तियां है। पीठ मामले में 18 अप्रैल को सुनवाई करेगी।