रायपुर। कोयला संकट के बीच राजस्थान को खनन की मंजूरी देने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि, आदिवासी और पर्यावरण हितों से उनकी सरकार कोई भी समझौता नहीं करेगी। राजस्थान को कोयला आपूर्ति करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का ही पालन होगा।
दरअसल, शनिवार को छत्तीसगढ़ सरकार ने राजस्थान को कोयला खनन की मंजूरी दे दी थी। राज्य सरकार ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के द्वितीय चरण के तहत 1136 हेक्टेयर क्षेत्र में कोयला उत्खनन के लिए वन भूमि व्यपवर्तन की अनुमति दे दी थी। इसके बाद प्रदेश की थर्मल इकाइयों को कोयले की सुचारू आपूर्ति हो सकेगी।

बघेल से मिले थे गहलोत
कोयला संकट के बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को रायपुर जाकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने राजस्थान को कोयले की सुचारू आपूर्ति के लिए कोल ब्लॉक में माइनिंग करने की स्वीकृति शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि, मंजूरी शीघ्र नहीं मिलेगी तो प्रदेश में बिजली का उत्पादन्न बंद हो जाएगा। अंधेरा छा जाएगा।

प्रथम चरण का खनन हो चुका है पूरा
भारत सरकार ने राजस्थान को साल 2015 में छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट-कांटा बासन (पीईकेबी) में 15 एमटीपीए और पारसा में पांच एमटीपीए क्षमता के कोल ब्लॉक आवंटित किए थे। पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के प्रथम चरण में खनन इस महीने में पूरा हो चुका है। ऐसे में राजस्थान की विद्युत उत्पादन इकाइयों के लिए यहां से कोयले की आपूर्ति नहीं होने से राज्य में विद्युत संकट उत्पन्न होने की स्थिति बन गई थी। पर्यावरण संरक्षण और राजस्थान की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार से इस विषय पर जल्द समुचित सकारात्मक निर्णय लेने का आग्रह किया था।