नई दिल्ली (एजेंसी)। इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई को एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई होगी। आईपीएल 2022 में स्पॉन्सरशिप को देखें तो इसका आंकड़ा 1000 करोड़ के पार हो गया है और लीग के अब तक के 14 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। आज यानी 26 मार्च से शुरू हो रहे आईपील के 15वें सीजन में बीसीसीआई को 1000 करोड़ रुपये की प्रायोजक राशि मिली है।
बीसीसीआई ने इस बार टाटा के साथ टाइटल स्पॉन्सर की डील की है, क्योंकि VIVO कंपनी ने अपना पल्ला झाड़ लिया था। वहीं, दो एसोसिएट स्पॉन्सर भी आईपीएल को मिले हैं, जो दर्शाता है कि ये लीग कितनी विशाल हो चुकी है। IPL की गवर्निंग काउंसिल ने हाल ही में RuPay और Swiggy Instamart के साथ IPL के केंद्रीय प्रायोजकों के रूप में नई डील की घोषणा की। रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्ड ने पहली बार सीजन के लिए सभी नौ प्रायोजन स्लॉट भरे हैं।
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, रुपे और स्विगी के साथ सालाना 48-50 करोड़ रुपये की डील बीसीसीआई ने की है। बीसीसीआई को दूसरा फायदा टाइटल स्पॉन्सरशिप डील से मिल रहा है। हालांकि, टाटा समूह 335 करोड़ रुपये का भुगतान कर रहा है जो कि वीवो के भुगतान से कम है, लेकिन फिर भी बीसीसीआई लगभग 30-40 प्रतिशत अधिक कमाएगा। सूत्रों के मुताबिक डील को इस तरह ट्रांसफर किया गया है कि सभी घाटे को वीवो वहन करेगी।
सूत्रों ने इनसाइडस्पोर्ट को बताया कि बीसीसीआई को न केवल वीवो से अनुबंधित राशि मिलेगी, बल्कि आईपीएल 2022 और आईपीएल 2023 के मैचों की संख्या में वृद्धि के अनुपात में भुगतान भी मिलेगा। वीवो ने आगामी दो सत्रों के दौरान मैचों की संख्या में वृद्धि के कारण आईपीएल 2022 के लिए 484 करोड़ रुपये और आईपीएल 2023 के लिए 512 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की थी। वीवो को अगले दो सत्रों में बीसीसीआई को 996 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। अब टाटा समूह ने इसी अवधि के लिए सिर्फ 670 करोड़ रुपये में बीसीसीआई से डील की है, जबकि घाटा वीवो को वहन करना होगा।
इतना ही नहीं, अनुबंध की समझ के अनुसार, वीवो बीसीसीआई को ‘ट्रांसफर फीस’ भी देगा जैसा कि उस समय हुआ था जब ओप्पो ने बायजू को अपने राइट्स ट्रांसफर किए थे। यह सब टाइटल स्पॉन्सरशिप स्लॉट से बीसीसीआई के लिए 600 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा होगा।