दिल्ली (एजेंसी)। रूस और यूक्रेन के बीच की लड़ाई अब खूनी हो चुकी है। पहले ही दिन 137 लोगों की मौत की खबर है। अधिकांश हिस्सों में रूसी विमानों से बम बरसाए जा रहे हैं। यूक्रेन में फंसे भारतीय रेसक्यू के लिए गुहार लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल व्लादिमीर पुतिन से बात की। आपको यह भी बता दें कि भारत फिलहाल यूक्रेन संकट पर तटस्थ बना हुआ है। रूस के साथ पुरानी दोस्ती इसका बड़ा कारण हो सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि रूस के साथ रक्षा संबंधों को लेकर भारत के साथ उनके मतभेद अभी सुलझे नहीं हैं और उन पर बातचीत चल रही है। यूक्रेन में रूसी कार्रवाई पर भारत का नपातुला रुख अमेरिका को ज्यादा रास नहीं आ रहा है। गुरुवार को जब पत्रकारों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से यह सवाल पूछा, तो उन्होंने बहुत कम शब्दों में इस ओर इशारा किया कि अमेरिका भारत के रुख से ज्यादा संतुष्ट नहीं है।

बाइडेन सरकार की चीन को लेकर कड़ी नीति के तहत भारत अमेरिका के लिए एक अहम साझेदार के तौर पर उभरा है, लेकिन रूस के साथ उसकी नजदीकियों और यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई पर भारत की चुप्पी ने दोनों देशों के बीच एक असहज स्थिति पैदा कर दी है।

यूक्रेन पर क्या है भारत का रुख?
यूक्रेन पर भारत ने अब तक खुलकर कुछ नहीं कहा है। हालांकि गुरुवार को भारतीय प्रधानमंत्री ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत में हिंसा रोकने का आग्रह किया था। किंतु, बीते मंगलवार को पेरिस में एक विचार गोष्ठी में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के मुद्दे पर जो कुछ हो रहा है, वह नाटो के विस्तार और सोवियत-युग के बाद रूस के पश्चिमी देशों के संबंधों से जुड़ा है। जबकि हिंद-प्रशांत यूरोपीय फोरम में शामिल अन्य विदेश मंत्रियों की तरह जापानी विदेश मंत्री योशीमासा हायाशी ने रूस की कड़ी निंदा की। भारतीय विदेश मंत्री ने अपना पूरा ध्यान चीन द्वारा पैदा किए गए कथित खतरों पर केंद्रित रखा।
यूक्रेन पर भारत के निष्पक्ष रुख का रूस ने किया स्वागत
इससे पहले सुरक्षा परिषद में भी भारत ने जिस तरह का बयान दिया था, उसे रूस का पक्षधर माना गया। यूक्रेन पर भारत ने कहा था कि सारे पक्षों की रक्षा संबंधी चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रूस ने भारत के इस रुख का स्वागत करते हुए कहा है कि यूक्रेन के हिस्सों को मिली मान्यता अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वैध है।
भारत को लेकर संदेह
रूस के साथ भारत के संबंध काफी पुराने हैं लेकिन बीते कुछ सालों में अमेरिका और भारत की नजदीकियां बढ़ी हैं। फिर भी, रूस भारत के लिए सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बना हुआ है। भारत 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है, जहां शुक्रवार रूस की निंदा में एक प्रस्ताव पर मतदान हो सकता है। संभावना जताई जा रही है कि रूस इस प्रस्ताव पर वीटो करेगा जबकि अमेरिका इस वीटो का इस्तेमाल रूस को अलग-थलग करने के लिए कर सकता है।
अमेरिका को उम्मीद है कि मौजूदा गणित में 13 सदस्य उसके पक्ष में वोट करेंगे जबकि चीन गैरहाजिर रहना चुनेगा। लेकिन भारत अमेरिका के पक्ष में मतदान करेगा या नहीं, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। इस मुद्दे पर एक बार पहले भी इसी महीने मतदान हो चुका है जिसमें भारत ने गैरहाजिर रहना चुना था।
यूरोप और अमेरिका ने किया रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि जो भी देश रूस के यूक्रेन पर आक्रमण को सहन करता है, उस पर रूस के सहयोग का कलंक लगेगा। जब बाइडेन से पूछा गया कि क्या भारत अमेरिकी रणनीति से सहमत है, तो उन्होंने कहा, हम आज भारत से सलाह-मसविरा कर रहे हैं। हमने यह मामला अब तक पूरी तरह नहीं सुलझाया है।
एक बयान जारी कर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया है कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर से गुरुवार को बातचीत की और रूस के आक्रमण की सामूहिक निंदा और फौरी तौर पर युद्ध विराम व सेनाओं की वापसी की जरूरत पर बल दिया।
एक ट्वीट में जयशंकर ने कहा कि उन्होंने यूक्रेन में हुई गतिविधियों पर ब्लिंकेन से बात की है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह रूसी विदेश मंत्री सर्गई लावरोव से भी बात कर चुके हैं और जोर देकर कह चुके हैं कि कूटनीति और बातचीत ही आगे बढऩे का सबसे अच्छा रास्ता है।
भारत-रूस संबंध
भारत की रूस के साथ करीबियां कुछ समय से अमेरिका को परेशान करती रही हैं। बीते साल दिसंबर में पुतिन ने भारत का दौरा किया था जिसमें दोनों देशों के बीच कई रक्षा समझौतों पर दस्तखत हुए थे। तभी भारत ने पुष्टि की थी कि रूस ने जमीन से हवा में मार करने वालीं एस-400 मिसाइलों की सप्लाई शुरू कर दी है। रूस लंबे समय से भारत को हथियारों की सप्लाई करता रहा है। एस-400 मिसाइलों की सप्लाई को भारतीय सेना को आधुनिक बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने दोनों पक्षों की बैठक के बाद कहा, सप्लाई इस महीने शुरू हो गई है और जारी रहेगी।