फीचर डेस्क/नई दिल्ली (एजेंसी)। मंगल को लेकर वैज्ञानिकों ने दुनिया को अच्छी खबर दी है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि मंगल ग्रह के ग्रैंड कैनयान में बड़ी मात्रा में पानी मिला है। एजेंसी के मुताबिक, मंगल ग्रह पर यह पानी का विशाल भंडार वल्लेस मरीनर्स की सतह से सिर्फ तीन फीट नीचे हैं। 3862 किमी इलाके में फैली वल्लेस मरीनर्स एक बहुत बड़ी घाटी है।
कैंडोर चाओस घाटी का हिस्सा वल्लेस मरीनर्स नीदरलैंड के आकार की है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस घाटी में सबसे ज्यादा पानी मिल सकता है। इस शोध के सहायक लेखक अलेक्सी मलाखोव ने बताया है कि रिसर्च में पता चला है कि वल्लेस मरीनर्स का मध्यवर्ती हिस्सा पानी से भरा है। उनका कहना है कि यहां पर अपेक्षा से भी ज्यादा पानी मौजूद है। धरती पर बर्फ से ढके इलाके कुछ इसी तरह से रहे हैं। यहां पर कम तापमान के कारण सूखी हुई जमीन के नीचे बर्फ जमी रहती है।
साल 2006 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कुछ तस्वीरें जारी की थी और बताया था कि मंगल ग्रह पर पानी के सबूत मिले हैं। नासा ने जो तस्वीरें साझा की थीं उससे पता चला कि साल 1999 और 2001 के बीच लिक्विड वॉटर मंगल ग्रह पर था। नासा के फोनिक्स मार्स लैंडर ने 31 जुलाई 2008 को इस बात की पुष्टि की कि मंग्रल ग्रह पर बर्फ मौजूद है। इसमें भी धरती पर मौजूद पानी में पाए जाने वाले तत्व पाए गए हैं।
मंगल ग्रह पर कई सूख चुकी घाटियां और नदियों के क्षेत्र मौजूद हैं। इससे अंदाजा लगाया जाता है कि वहां पर कभी पानी बहता था। अभी तक जो पानी पाया गया था वह बहुत गहराई में बर्फ के रूप में था। अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की खोज से खुलासा हुआ है कि मात्र तीन फीट नीचे बर्फ मौजूद है। अरबपति एलन मस्क की मंगल ग्रह पर इंसानों की बस्तियां बसाने की चाहत है। इसके लिए यह खोज एक अच्छी खबर है।