कुन्नूर (एजेंसी)। तमिलनाडु में कुन्नूर के पास एक सैन्य हेलीकाप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों के मन में यह आ रहा है कि आखिर इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति को ले जाने वाला हेलीकॉप्टर क्रैश कैसे कर सकता है। आखिर सुरक्षा में चूक कहां रह गई। वहीं इन सब के बीच एक बड़ी जानकारी सामने यह आई है कि काफी मशक्कत के बाद सेना के द्वारा ब्लैक बॉक्सको बरामद कर लिया गया है। ब्लैक बॉक्स की बरामदगी के बाद उम्मीद है कि सेना इस हादसे से जुड़े रहस्य को सुलझा लेगी। आइए जानते हैं आखिर यह ब्लैक बॉक्स है क्या, यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
क्या है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स विमान या हेलीकॉप्टर में लगा एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रानिक उपकरण है, जिसे फ्लाइट डेटा रिकार्डर के रूप में भी जाना जाता है। यह उड़ान के बारे में 88 महत्वपूर्ण मापदंडों को रिकार्ड करता है, जिनमें एयरस्पीड, विमान की ऊंचाई, काकपिट बातचीत और हवा का दबाव भी शामिल है। दुर्घटना के बाद ब्लैक बाक्स की भूमिका अहम है क्योंकि यह प्राथमिकता के आधार पर यह समझने के लिए महत्वपूर्ण होता है कि वास्तव में दुर्घटना का कारण क्या है। इस ब्लैक बॉक्स में पायलट और कंट्रोल रूम तथा लोकेशन मास्टर के बीच हुई बातचीत सहित तमाम जानकारियां स्वत: फीड हो जाती हैं जो दुर्घटना के बाद जांच में मददगार साबित होती है।
विमान में सबसे पीछे की ओर रखा जाता है ब्लैक बाक्स
एक सामान्य क्चद्यड्डष्द्म क्चश& का वजन लगभग 10 पाउंड (4.5 किलो) होता है। इसे विमान में पीछे की ओर लगाया जाता है, जिससे कि कभी गंभीर दुर्घटना हो भी तो बाक्स को ज्यादा नुकसान न हो। देखा भी गया है कि हादसे में प्लेन के पीछे का हिस्सा कम प्रभावित होता है।

विशेष आवाज के कारण ब्लैक बॉक्स बरामद हो जाता है
दुर्घटना के बाद भी ब्लैक बॉक्स से एक तरह की विशेष आवाज निकलती रहती है, जिससे खोजी दल तुरंत पहचान लेते हैं और इस तरह से दुर्घटनास्थल तक पहुंचा जा सकता है। यहां तक कि पानी में कई हजार फीट तक नीचे गिरने के बाद भी इस बाक्स से आवाज और तरंगें निकलती रहती हैं और ये लगभग एक महीने तक जारी रह सकती हैं।




