ज्यादातर दावेदार विधायक देवेन्द्र के करीबी
भिलाई। स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा जल्द ही होने वाली है, इसे देखते हुए महापौर पद के दावेदारों ने जोर-आजमाइश प्रारम्भ कर दी है। रविवार को कांग्रेस की महंगाई विरोधी जनजागरण पदयात्रा के दौरान दावेदार बेहद सक्रिय दिखे। मुख्यमंत्री और संगठन नेताओं के स्वागत-सत्कार के साथ ही जयघोष आदि के जरिए शक्ति-प्रदर्शन किया गया। भिलाई के पोट्टी श्रीरामुलु चौंक से शुरू हुई यह पदयात्रा लाल मैदान छावनी में खत्म हुई, जहां आमसभा हुई। इस दौरान पूरे समय तक महापौर के दावेदार, मुख्यमंत्री व अन्य नेताओं के इर्द-गिर्द मंडराते रहे। दावेदारों में ज्यादातर विधायक देवेन्द्र यादव के करीबी माने जाते हैं।
बढ़ती महंगाई के विरोध में कांग्रेस की जनजागरण पदयात्रा की शुरूआत कांग्रेस ने उस भिलाई क्षेत्र से की, जहां जल्द ही नगर निगम के चुनाव होने हैं। दुर्ग जिले के भिलाई नगर के अलावा चरोदा नगर निगम, नवोदित रिसाली नगर निगम और जामुल पालिका में भी इसी दौरान चुनाव होंगे। ऐसे में खुद मुख्यमंत्री का भिलाई आकर इस पदयात्रा की शुरूआत करना महत्वपूर्ण हो जाता है। रविवार को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की मौजदूगी में जिस तरह से माहौल बनाया, उसके बाद यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस इन चुनावों में जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। शायद यही वजह है कि हर कोई स्वयं को मुख्यमंत्री या स्थानीय विधायक का करीबी बताने में जुटा है, ताकि पार्षद चुनाव जीतकर महापौर बनने के लिए राह बनाई जा सके। यह भी हकीकत है कि विधायक देवेन्द्र यादव ने जिस तरह से भिलाई की राजनीति में पैठ बनाई है, उसके बाद उनके समर्थकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ऐसे में उनके हर समर्थक को अपने नेता से काफी उम्मीदें हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि बहुमत की स्थिति में कांग्रेस के नए महापौर का फैसला काफी हद तक विधायक देवेन्द्र यादव को ही करना है। यही वजह है कि अधिकांश दावेदार स्वयं को विधायक का करीबी और खास बता रहे हैं। हकीकत यह भी है कि सबको साथ लेकर चलने की वजह से देवेन्द्र यादव सबके करीब हैं।
इन दावेदारों पर नजर
महापौर टिकट दावेदारों की बात करें तो इनमें कई ऐसे हैं, जो पिछली परिषद में एमआईसी में शामिल थे और ‘काम करके दिखाने’ पर यकीन रखते हैं। इनमें लक्ष्मीपति राजू, नीरज पाल और सुभद्रा सिंह के नाम शामिल हैं। वहीं विधायक देवेन्द्र यादव के साथ छात्र राजनीति करने वाले आदित्य सिंह और जिला कांग्रेस के अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर को भी महापौर पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। आदित्य सिंह वर्तमान में एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष हैं। वे पिछले काफी समय से शहर के राधिका नगर वार्ड में सक्रिय हैं। इसी तरह लक्ष्मीपति राजू सेक्टर-7 तो नीरज पाल सेक्टर-5 से निवृत्तमान पार्षद हैं। सुभद्रा सिंह को कांग्रेस की तेज तर्रार नेत्री माना जाता है। वे भी एमआईसी में रह चुकी हैं। सेक्टर-10 क्षेत्र से निवृत्तमान पार्षद सुभद्रा ने रविवार को गांधी चौंक क्षेत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जोरदार स्वागत किया था।


मुकेश चंद्राकर पर संशय
मुकेश चंद्राकर को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है, उन्हें तुलसी साहू की जगह भिलाई जिला कांग्रेस की कमान सौंपी गई। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि एक व्यक्ति-एक पद सिद्धांत के चलते मुकेश चंद्राकर चुनाव लड़ेंगे अथवा नहीं। वैसे भी जिस व्यक्ति को पूरे जिले की कमान हो, वह वार्ड स्तर का चुनाव लड़ेगा, इस पर पार्टीजनों को संदेह है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के भीतर हाल ही में सत्ता और संगठन को व्यवस्थित किया गया था। इसके तहत कई नेताओं को उपकृत करने के लिए निगम-मंडल-आयोग में जगह दी गई। ऐसे लोगों को संगठन की कमान छोडऩी पड़ी थी। जाहिर है कि जो वर्तमान में संगठन के प्रमुख हैं, उन्हें यदि चुनाव लड़ाया जाएगा तो पूरी चुनावी प्रक्रिया बाधित होने का खतरा होगा।
पार्षद जीते तभी बनेगी बात
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद महापौर के सीधे निर्वाचन की प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया था। इस कारण इस पद की पूरी चमक ही खत्म हो गई। वर्तमान में वार्ड पार्षदों में से ही महापौर चुना जाता है। ऐसे में महापौर बनने के दावेदारों की पहली प्राथमिकता पार्षद चुनाव जीतना है। पार्षद निर्वाचित हुए, उसके बाद ही महापौर बनने की दौड़ प्रारम्भ होगी। यही वजह है कि महापौर पद के दावेदार काफी समय से वार्डों में सक्रिय हैं। जो निवृत्तमान पार्षद हैं, वे अपने पुराने कामकाज के आधार पर अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, जबकि पहली बार चुनाव लडऩे वाले दावेदार सक्रियता को मुद्दा बना रहे हैं।




