राहुल गांधी के करीबी सचिन राव के दिल्ली लौटने के बाद बदले राजनीतिक समीकरण
दुर्ग। छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल वाला फार्मूला फिस्स हो गया है। खबर है कि कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अभयदान दे दिया है। हालांकि इसके पीछे कई तरह की बातें निकल आई है। पिछली दफा जब कुर्सी का विवाद सिर चढ़ा तो पार्टी नेतृत्व ने सीएम बघेल और स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव को दिल्ली बुलाया था। उसके बाद यह तय हुआ था कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ का विकास देखने आएंगे। राहुल तो यहां नहीं आए, किन्तु उन्होंने अपना दूत जरूर भेज दिया। एआईसीसी के प्रशिक्षण प्रमुख सचिन राव, राहुल की जगह आए तो मुख्यमंत्री ने खुद उन्हें विकास का छत्तीसगढ़ मॉडल दिखाया। खबर है कि सचिन के दिल्ली लौटने के बाद ही भूपेश बघेल की कुर्सी पूरे 5 साल के लिए तय हो गई। जबकि फार्मूले को लेकर टीएस बाबा अब भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
एआईसीसी प्रशिक्षण विभाग के प्रमुख सचिन राव 19 अक्टूबर को रायपुर पहुंचे तो उन्हें लेने के लिए खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने दो मंत्रियों मो. अकबर और रवीन्द्र चौबे के साथ पहुंचे। भले ही भाजपा ने बाद में सचिन के दौरे का मजाक बनाया, किन्तु सचिन राव कितने महत्वपूर्ण थे, यह इसी से जाहिर हो गया जब सीएम बघेल खुद उन्हें राज्य का विकास और महत्वाकांक्षी योजनाओं को दिखाने ले गए। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि सचिन राव दिल्ली लौटकर पूरा फीडबैक राहुल गांधी को देने वाले थे। एक ओर जहां ढाई साल वाले फार्मूले को लेकर स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव अब भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, वहीं उनके अरमानों पर छत्तीसगढ़ में ही सचिन राव पानी फेर गए। सचिन दिल्ली लौटे उसके बाद यह खबर सुर्खियां बन गई कि हाईकमान ने भूपेश बघेल पर वरदहस्त रख दिया है। इधर, यह खबर आ रही है कि संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने की जिद पकड़े बैठे टीएस सिंहदेव की जल्द ही पार्टी हाईकमान से मुलाकात हो सकती है। सिंहदेव काफी समय से दिल्ली में सक्रिय हैं। इससे पहले भी उन्होंने कई बाद दिग्गज नेताओं से मिलने का प्रयास किया, किन्तु उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी।
भूपेश के कामों को सराहा, राहुल को दिया फीडबैक
छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान सचिन राव ने प्रस्तावित सेवाग्राम स्थल, गौठान, जेनरिक दवा की दुकान और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को देखा। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उन्हें गाड़ी में बैठाकर विकास दिखाने ले गए। बाद में सचिन ने सीएम बघेल के कामों को सराहा। सेवाग्राम स्थल को उन्होंने महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज से जोड़ा। साथ ही यहां तक कह दिया कि देशभर के राज्यों को छत्तीसगढ़ से सीखने की दरकार है। दौरा खत्म होने के बाद दिल्ली लौटे सचिन राव ने भूपेश सरकार के कामकाज का पूरा खाका राहुल गाधी के सामने खींचा। कहा जा रहा है कि सचिन ने राहुल के समक्ष ऐसा समां बांधा कि वे भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए। राहुल गांधी को दिए गए इसी फीडबैक के बाद भूपेश बघेल को हाईकमान ने फ्रीहैंड कर दिया। गौरतलब है कि सचिन राव को राहुल गांधी का रणनीतिक सलाहकार माना जाता है।

बगावत न हो, इसलिए आए थे
दिल्ली से जो खबरें छनकर आई है, उस पर यकीन करें तो पार्टी हाईकमान को यह अंदेशा सताने लगा था कि छत्तीसगढ़ में कभी भी बगावत फूट सकती है। जिस तरह से ढाई साल वाले फार्मूले को लेकर टीएस सिंहदेव दबाव बना रहे थे और मुख्यमंत्री के समर्थक विधायक दिल्ली दौड़ लगा रहे थे, उससे पार्टी के दिग्गज नेता नाखुश थे। ऐसे में आलाकमान की ओर से कोई भी कदम उठाना विस्फोटक हालात पैदा कर सकता था। पार्टी के रणनीतिकारों को लगने लगा था कि यदि हाईकमान ने कोई फैसला सुनाया तो नुकसान सीधे-सीधे पार्टी को ही होगा। इसी के मद्देनजर राहुल गांधी ने सचिन राव को अपना दूत बनाकर छत्तीसगढ़ भेजा। सचिन राव ने राज्य के राजनीतिक हालातों को बारीकी से न केवल देखा, अपितु वे बहुत सुलझे हुए तरीके से बगावत जैसे किसी संभावना को दबाने में भी कामयाब रहे। खबर है कि इस दौरान सचिन राव को यह बताने की भी कोशिश हुई कि बगावत की आशंका दरअसल, स्वास्थ्यमंत्री टीएस बाबा की ओर से ज्यादा है। जिस वक्त राव छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे, ठीक उसी दौरान सिंहदेव समर्थक यह दावा भी करते रहे कि जल्द ही बघेल इस्तीफा देने वाले हैं। यह खबर भी उड़ाई गई कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने भूपेश बघेल को अक्टूबर अंत तक कुर्सी छोडऩे को कहा है।
बेफिक्र भूपेश फिर यूपी गए
एक ओर जहां टीएस सिंहदेव दिल्ली में डेरा डाले बैठे हैं तो दूसरी ओर इससे बेखबर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक बार फिर यूपी के दौरे पर निकल गए हैं। सचिन राव के दौरे के बाद अचानक सीएम बघेल बेफिक्र हो गए हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई खबर नहीं है, किन्तु विश्वनीय सूत्र बताते हैं कि भूपेश बघेल को हाईकमान ने खुली छूट दे दी है। यूपी चुनाव के मद्देनजर हाईकमान ने बघेल को मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। इस महीने यह उनका चौथा यूपी दौरा है। इससे पहले वे 5 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जाने के लिए लखनऊ पहुंचे थे, किन्तु उस दौरान उन्हें एयरपोर्ट से बाहर जाने नहीं दिया गया। इसके बाद 6 अक्टूबर को वे राहुल गांधी के साथ दोबारा लखनऊ पहुंचे। 9 अक्टूबर को कौल हाउस में हुई बैठक में उन्होंने शिरकत की थी। बाद में बनारस में हुई किसान न्याय यात्रा में भी शामिल हुए। यूपी दौरे के बाद सीएम भूपेश का हिमाचल प्रदेश जाने का भी कार्यक्रम है।




