भिलाई। श्री जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-4 में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी की 52वीं रथयात्रा महोत्सव-2021 के तहत मंगलवार को बाहुड़ा रथयात्रा का आयोजन किया गया। कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सीमित उपस्थिति के साथ श्री जगन्नाथ मंदिर, सेक्टर-4 के परिसर में ही बाहुड़ा रथयात्रा का आयोजन परम्परा अनुसार किया गया। इस वर्ष कोरोना प्रोटोकाल के तहत मंदिर परिसर के सभागार में ही गुडिंचा मंडप की व्यवस्था की गई थी। महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी जी के बाहुड़ा रथयात्रा मंदिर परिसर के सभागार में स्थित गुडिंचा मंडप से सुबह 6 बजे निकाली गई।
बाहुडा यात्रा के लिए सुबह भगवान श्री बलभद्र, माता सुभद्रा तथा महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के विग्रह को पंहडी करते हुए काष्ठ निर्मित सुन्दर व भव्य रथ पर लाया गया। इस वर्ष बाहुड़ा रथयात्रा के दौरान रथ के समक्ष परम्परा अनुसार छेरा-पंहरा कार्यक्रम, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित समाजसेवी व जगन्नाथ भक्त श्री दीनदयाल अग्रवाल द्वारा सम्पन्न किया गया। विदित हो कि पुरी में यह परम्परा पुरी के महाराज सम्पन्न करते है। छेरा-पंहरा के पश्चात सीमित संख्या में उपस्थित पुजारीगण एवं समिति के सदस्यगणों ने ‘जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ रथ खींचना प्रारंभ किया।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष विरेन्द्र सतपथी व महासचिव सत्यवान नायक सहित समिति के पदाधिकारी सर्वश्री बसंत प्रधान, डी त्रिनाथ, अनाम नाहक, वृंदावन स्वांई, भीम स्वांई, त्रिनाथ साहू, बीसी बिस्वाल, प्रकाष दास, कालू बेहेरा, निरंजन महाराणा, रंजन महापात्र, एस सी पात्रो, कवि बिस्वाल, रमेष कुमार नायक, सुदर्षन शांती, संतोष दलाई, शंकर दलाई, प्रकाष स्वांई, बिसिकेषन साहू, कैलाश पात्रो विषेष रुप से उपस्थित थे। रथयात्रा की यह धार्मिक पूजा समस्त रीति-रिवाजों के साथ पुरोहित श्री पितवास पाढ़ी तथा उनकी टीम द्वारा संपन्न किया गया।

सहयोग व विषेष योगदान
बाहुड़ा रथयात्रा के इस पावन उत्सव को सफल बनाने में जगन्नाथ समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र सतपथी, महासचिव सत्यवान नायक, डी त्रिनाथ, वृंदावन स्वांई, बीसी बिस्वाल, भीम स्वांई, बसंत प्रधान सहित समिति के पदाधिकारी सर्वश्री अनाम नाहक, एस सी पात्रो, कालू बेहेरा, त्रिनाथ साहू, निरंजन महाराणा, कैलाश पात्रो, संतोष दलाई, प्रकाश स्वांई, रंजन महापात्र, रमेश कुमार नायक, सीमांचल बेहरा, सुदर्शन शांती, शंकर दलाई, प्रकाश दास, कवि बिस्वाल, प्रकाष स्वांई, बिसिकेषन साहू, विक्रम पाढ़ी ने विशेष योगदान दिया।




