नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार की घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर रोक लगा दी है। इसके लिए राशन की होम डिलीवरी होने पर भ्रष्टाचार होने की संभावना को आधार बनाया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर शुरू हुई लड़ाई केवल योजना का श्रेय लेने की है। दिल्ली सरकार इसे अपनी योजना के तहत पेश करना चाहती है तो केंद्र का पक्ष है कि अगर इस योजना में 90 प्रतिशत से ज्यादा पैसा केंद्र सरकार खर्च करती है तो किसी राज्य सरकार को इसका श्रेय क्यों लेना चाहिए।
इस श्रेय लेने की राजनीति में अरविंद केजरीवाल हर तरफ से भारी पड़ रहे हैं। वे जनता के बीच बार-बार यह संदेश देने में सफल हो रहे हैं कि वह तो जनता के घर पर राशन की होम डिलीवरी कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन केंद्र सरकार जानबूझकर इस योजना को अमल में नहीं लाने देना चाहती है। इस मामले में केजरीवाल का यह दांव काफी कारगर है कि उन्होंने केंद्र के कहने से इस योजना में हर वह बदलाव कर दिया है जिसको लेकर केंद्र सरकार ने आशंकाएं जाहिर की थीं। ऐसे में केंद्र के पास बचाव का कोई रास्ता नजर नहीं आता है। जानकारों का कहना है कि भाजपा के इस स्टैंड से उसे लाभ होने की बजाय नुकसान हो सकता है।
भाजपा के पास नहीं है ये जवाब
भाजपा ने अपने तर्क देकर राशन योजना को रोकने को सही ठहराने की कोशिश की है, लेकिन कुछ ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब भाजपा के पास भी नहीं है।

- केंद्र ने दिल्ली की राशन योजना पर जो-जो सवाल उठाये थे, दिल्ली सरकार ने उन सभी आपत्तियों का समाधान कर दिया है। ‘मुख्यमंत्री राशन योजना’ में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताई गई थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री राशन योजना को ‘घर-घर राशन योजना’ कर दिया गया है। ऐसे में फिर भी राशन योजना को रोकना कहां तक सही है?
- देश के कई अन्य राज्यों में भी मुख्यमंत्रियों के नाम से योजनाएं चलाई जा रही हैं। ऐसे में अगर दिल्ली सरकार योजना चलाना चाहती है तो इसमें केंद्र को आपत्ति क्यों है?
- राशन वितरण की जिम्मेदारी राज्यों की ही होती है। वे इस संदर्भ में अपने अनुसार नियम भी तय कर सकते हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार के तौर-तरीकों पर केंद्र को आपत्ति क्यों है?
- केंद्र सरकार को सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि इस योजना से भ्रष्टाचार हो सकता है, असली लाभार्थियों की पहचान नहीं हो सकती है जिससे भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। लेकिन इसी समय दिल्ली सरकार 40 से ज्यादा योजनाओं की सुविधा घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध करा रही है। अगर इनमें भ्रष्टाचार रोका जा सकता है तो केवल राशन बांटने में भ्रष्टाचार कैसे हो सकता है?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं तकनीकी के उपयोग से सिस्टम के भ्रष्टाचार को रोकने के सबसे बड़े हिमायती रहे हैं। राशन योजना में भी आधार कार्ड, पीओएस मशीनों, अंगूठे से पहचान करके या अन्य तरीकों का प्रयोग करके भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। ऐसे में इस योजना में भी इन तरीकों से किसी संभावित भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की जाती।
- केवल भ्रष्टाचार की आशंका से किसी योजना को रोकना कितना सही है? क्या इस बात का दावा किया जा सकता है कि इस समय जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, उनमें किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है?
- केंद्र सरकार स्वयं एक देश एक राशन कार्ड योजना के तहत किसी भी नागरिक को देश में कहीं भी राशन सुविधा देने की योजना पर काम कर रही है। ऐसे में क्या उसमें भ्रष्टाचार नहीं हो सकता? उसमें किस तरह यह सुनिश्चित किया जायेगा कि कोई गलत व्यक्ति राशन न लेने पाए। जिस तरह से इस योजना में किसी संभावित भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश की जायेगी, उसी तर्ज पर दिल्ली की राशन योजना में भी भ्रष्टाचार कम क्यों नहीं किया जा सकता?
- एक देश, एक राशन कार्ड योजना में सही व्यक्तियों की पहचान के लिए आधार कार्ड को आधार बनाया गया है। लेकिन ऐसे हजारों मामले सामने आ चुके हैं जहां गलत नाम, पते से आधार कार्ड बनवाए गए हैं। ऐसे में एक देश एक राशन कार्ड योजना में भी सौ फीसदी भ्रष्टाचार रोकने की गुंजाइश कैसे संभव है?
- इस योजना पर उठे विवाद के बीच आम लोगों की राय यही है कि यह विवाद राशन योजना का श्रेय लेने के लिए हो रही है। क्या केंद्र सरकार या भाजपा को लगता है कि राशन मुद्दे पर उसका स्टैंड राजनीतिक तौर पर उसके लिए लाभ का सौदा साबित होगा?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर सिस्टम से बिचौलियों को ख़त्म करने का पुरजोर समर्थन करते रहे हैं। किसानों को सीधे उनके खाते में न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के पीछे भी उनका यही तर्क है कि नये कृषि कानून से बिचौलियों का खात्मा हो जाएगा। पीडीएस राशन वितरण सिस्टम में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है, यह सभी जानते हैं। दिल्ली सरकार की योजना में से बिचौलियों को ख़त्म करने की कारगर व्यवस्था दिखाई पड़ रही है। ऐसे में केंद्र सरकार इस बात का क्या जवाब देगी कि वह पीडीएस सिस्टम से बिचौलियों को खत्म क्यों नहीं करना चाहती है?
भाजपा ने किया बचाव
हालांकि, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ठोस तर्कों के साथ दिल्ली सरकार की राशन योजना को रोकने के पीछे तर्क गिनाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि घर-घर राशन पहुंचाने से इस योजना में भ्रष्टाचार होने की संभावना है, इस तरीके में यह पता नहीं लग पाएगा कि राशन किसके पास पहुँच रहा है। लिहाजा इस तरह से राशन पहुंचाने को सही नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि राशन दुकानों पर पहचान के लिए पीओएस मशीनें हर राज्य में लगाई जा चुकी हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने इन मशीनों को रोक दिया था। इससे दिल्ली सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं। केंद्र का यह भी आरोप है कि दिल्ली सरकार अभी तक अपने कोटे का पूरा राशन नहीं उठा पाई है, जितना राशन उठाया गया है, अभी तक उसका भी बड़ा हिस्सा जनता तक नहीं पहुंचाया जा सका है।
संबित पात्रा ने कहा कि राशन दुकानों पर आने से कोरोना के खतरे का दिल्ली सरकार का स्टैंड सही नहीं है क्योंकि इसी दौरान सरकार दिल्ली के बाज़ारों को खोलने की भी योजना बना रही है। अगर बाज़ारों-माल्स में कोरोना का खतरा नहीं है तो केवल राशन दुकानों पर ही कोरोना का खतरा कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के इन्हीं तर्कों से साफ़ हो जाता है कि उसकी मंशा साफ़ नहीं है। लेकिन अगर केजरीवाल सरकार अपने पैसों की खरीद से लोगों तक राशन पहुंचाना चाहें तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। भाजपा ने दिल्ली सरकार पर प्रचार करने में भारी भरकम पैसा खर्च करने का आरोप भी लगाया।