नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह सुनवाई के दौरान जजों द्वारा की जाने वाली मौखिक टिप्पणियों को रिपोर्ट करने से मीडिया को नहीं रोक सकता। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों की मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करना व्यापक जनहित में है क्योंकि यह जवाबदेही लाती है। शीर्ष अदालत चुनाव आयोग की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा हत्या का मुकदमा दर्ज करने संबंधी टिप्पणी को चुनौती दी है। साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि अदालत द्वारा की जाने वाली मौखिक टिप्पणियों को प्रकाशित करने पर मीडिया पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, Óन्यायालय में क्या हो रहा है। क्या दिमागी कसरत की जा रही है? इन सभी के बारे में नागरिक जानना चाहते है। इससे न्यायिक प्रक्रिया के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ावा मिलेगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा हम अपने हाईकोर्ट को हतोत्साहित नहीं करना चाहते हैं। वे हमारी न्यायिक प्रक्रिया के एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। दलील पेश किए जाने के दौरान जज और वकीलों के बीच कई तरह के संवाद होते हैं और कई बातें कही जाती है। वहीं सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट ने बिना किसी तथ्य व प्रमाण के चुनाव आयोग पर हत्या या मुकदमा करने की बात कही थी। उन्होंने कहा जब रैलियां हो रही थीं, तो हालात इतने बुरे नहीं थे। हमें हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति है। इस टिप्पणी ने बाद मीडिया में इस बार बहस चलने लगी कि हम हत्यारे हैं। सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जाने लगा।
टिप्पणियों को सही भावना के साथ लेने की जरूरत-सुप्रीम कोर्ट
इस पर जस्टिस शाह ने जवाब दिया कि शायद, उपयुक्त शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि अचानक आखिर ऐसा क्या हुआ और जज को ऐसा कहना पड़ा। जस्टिस शाह ने कहा कि कभी कभी एक के बाद एक आदेश पारित किए जाने के बावजूद अथॉरिटी द्वारा आदेशों का पालन नहीं किया जाता है। जमीनी हकीकत के आधार पर ऐसी टिप्पणियां की जाती हैं। उन्होंने कहा कि टिप्पणियों को सही भावना के साथ लिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को लगाई फटकार, कहा- नहीं रोक सकते अदालत की मीडिया रिपोर्टिंग




