दुर्ग जिला एनएसयूआई के कार्यकारणी अध्यक्ष सोनू साहू ने कहा कि हॉस्पिटल के गैरजिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी के ऊपर आपीसी की धारा 304 के तहत हो मानव वध दण्ड का अपराध पंजीबध
दुर्ग। मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला दुर्ग छत्तीसगढ़ को ज्ञापन सौंपा कर जिला अस्पताल दुर्ग में पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर बालकिशोर के द्वारा दो माह की बच्ची के मौत के मामले में गैर जिम्मेदाराना बयान दिए जाने की शिकायत किया गया। विभिन्न प्रेस मीडिया कर्मियो को सिविल सर्जन डॉक्टर बालकिशोर के द्वारा दी प्रतिक्रिया का वायरल वीडियो से दर्शाता है कि वो अपने पद और कार्य के प्रति जिम्मेदार नही है क्योंकि विगत 25 अप्रेल 2021 को रात लगभग 11 बजे बच्ची रुही उम्र 2 माह को बुखार आने की शिकायत थी बताया जा रहा है कि इस बच्ची को लेकर परिजन जिला अस्पताल उपचार हेतु आये परंतु बुखार होने के वजह से कोरोना की जांच की गई जिसमें बच्ची रुही की रिपोर्ट को तथाकथित तौर पर पॉजिटिव बता कर जो कि गलत रिपोर्ट थी उसी के आधार पर उपचार किया गया आरोप लगाया गया की बच्ची का वेंटिलेटर न होने की बात कहते हुए एवं बच्ची को वेंटिलेटर की जरूरत को दर्शाते हुए 3 घंटे बाद तथाकथित तौर पर जिला अस्पताल के जिम्मेदार प्राधिकारियों ने बच्ची को रायपुर पंडरी स्थित जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया । जहां परिजन बच्ची को लेकर आपातकालीन स्थिति में दर – दर ठोकर खाते रहे तब जाकर डॉक्टर राव से मुलाकात हुई जिन्होंने वेंटिलेटर न देने की बात कहते हुए कोविड मरीज को इलाज न कर पाने की बात कही । तत्पश्चात मेकाहारा अस्पताल में परिजनों ने बच्ची रूही को लाया पर वहाँ पर भी बच्ची को प्राथमिक उपचार न देने की वजह से बच्ची ने एम्बुलेंस में ही अपना दम तोड़ दिया। ऐसा गंभीर आरोप मृत बच्ची के परिजन लगा रहे है।
जिला कार्यकारणी अध्यक्ष सोनू साहू ने कहा कि व्यथित करने वाली परिस्थिति यह है कि अंतिम संस्कार के पश्चात परिजनों के मोबाइल पर कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट प्राप्त हुई व उसमे 2 माह की बच्ची को 20 वर्ष का बताया गया। जिससे दुर्ग जिला अस्पताल, रायपुर पंडरी जिला अस्पताल एवं मेकाहारा अस्पताल में उस वक्त ड्यूटी पर तैनात स्टाफ की लापरवाही और असंवेदनहीनता को उजागर होने का आरोप जन सामान्य की तरफ से लग रहा है।
इस घटना का सबसे व्यथित करने वाला पहलू यह है कि इस मामले में जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर बाल किशोर ने प्रेस और मीडिया से गैर जिम्मेदाराना प्रतिक्रिया करते हुए इस बात का संकेत दिया है कि मृत बच्ची के प्रकरण में हुई किसी भी पहलू की जानकारी उनको नहीं है जबकि सिविल सर्जन जैसे जिम्मेदार पद पर वे पदस्थ है और यह जानते हुए अपनी प्रतिक्रिया प्रेस और मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक कर रहे है जब जनता मे जिला अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर भयंकर आक्रोश है। जब राज्य सरकार तमाम सुविधा दे रही है उसके बाद फिर रोगी मरीज के परिजनों द्वारा जिला अस्पताल के अव्यवस्थता को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल दुर्ग के उस वक्त ड्यूटी पर तैनात स्टाफ की लापरवाही नजर आता है। साथ ही सिविल सर्जन द्वारा उजागर की गई गैर जिम्मेदाराना जानकारी और प्रेस व मीडिया को दी गई प्रतिक्रिया की वीडियो यह साबित कर रही है कि सिविल सर्जन डॉक्टर बाल किशोर जिला अस्पताल और प्रदेश शासन के विरूद्ध शंका पूर्ण स्थिति कायम कर जिला प्रशासन और सरकार को ख्याति को धूमिल करने की मंशा रखते है ।
बच्ची रुही के परिजनों के प्रति संवेदना अपनी सहानभूति प्रगट करते हुए दोषी डॉक्टर एवम स्टाफ के ऊपर निलंबन की कार्यवाही करते हुए धारा 304 के तहत गैर इरादतन मानव वध के लिए दण्ड हत्या का मामला दर्ज किया जावे ताकि 2 माह की बच्ची रूही को न्याय मिल सके और भविष्य में किसी भी नवजात बच्चों को जान न गवाना पड़े साथ ही अस्पताल के डॉक्टर और अन्य स्टाफ की मनमानी पर रोक लगाते हुए सिविल सर्जन डॉक्टर बाल किशोर के वायरल वीडियो के विषयवस्तु पर संज्ञान लेकर कार्यवाही कर उनको तत्काल बर्खास्त किया जावे। अन्यथा लॉकडाउन के उपरांत में दुर्ग एनएसयूआई के द्वारा इस मामले को लेकर आंदोलन धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन दुर्ग की होगी।




