कानपुर (एजेंसी)। कोरोना संक्रमण का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इलाज के इंतजामों की भयावहता चिंताजनक है। कोविड स्टेटस वाले अस्पतालों में बेडों की कमी बताकर तीसरे दिन भी मरीज लौटाए गए। कंट्रोल रूम की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ, जबकि अब यहां फोन कॉल रिसीव करने के लिए तीन के बजाय छह लाइनें कर दी गई हैं। हालत यह है कि कोरोना संक्रमितों को न तो इलाज मिल रहा है न ही उनकी काउंसलिंग की जा रही है। यानी जिले में किसी को कोरोना हुआ तो अब बिना इलाज घरों और सड़कों पर मरने की नौबत आ गई है। जिले में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट हैं।
मगर उन्हें इलाज नहीं मिल रहा, वे अंतिम सांसें गिन रहे हैं। कोविड अस्पतालों में मरीजों के भर्ती न करने का मामला हो या प्राइवेट अस्पतालों में बेडों की दलाली की बात हो, या फिर कोविड कमांड सेंटर में फोन न उठने की। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए गए अब तक के इंतजाम नाकाफी साबित हुए हैं।
हालांकि सुधार के लिए बैठकें खूब हो रही हैं। मगर असर नहीं दिख रहा है। शहर में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात से लोग डरे हुए हैं। निजी अस्पतालों ने इस आपदा को लूट का अवसर बना लिया है। स्वास्थ्य विभाग अभी तक इस बात की जांच नहीं कर सका कि बेड खाली होने के बाद मरीज भर्ती क्यों नहीं किए जा रहे।
बेडों की संख्या बढ़ाने के लिए 14 और अस्पतालों को कोविड स्टेटस का दर्जा दिया गया है। हर मेडिकल स्टोर में होम आइसोलेशन किट उपलब्ध होने के आदेश जारी किए। अनियमिताओं पर कार्रवाई भी हो रही है। पूरा प्रयास है कि लोगों को बेहतर इलाज मिले।
आलोक तिवारी, जिलाधिकारी




