नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत के कुछ हिस्सों में रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। सबसे पहले जम्मू कश्मीर में 150 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को हिरासत में लेकर म्यांमार और बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गौरतलब है कि रोहिंग्या म्यांमार के बंगाली भाषी मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। यह समुदाय अपने देश में हिंसा के बाद भागकर भारत आ गया । हालांकि रोहिंग्याओं का बड़ी संख्या भागकर बांग्लादेश भी पहुंच गई है और आज भी इन्होंने वहां लाखों की संख्या में शरण ली है। बांग्लादेश में रोहिंग्याओं के शिविरों में कई बार आग लगने की भी खबरें सामने आई है।
जम्मू में अब भी बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ये लोग कठुआ जिले के ‘एक विशेष केंद्र में रखे गए हैं जहां उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। बताया जा रहा है कि जम्मू एवं कश्मीर में अभी भी रोहिंग्या मुसलमान बड़ी संख्या में मौजूद हैं। हालांकि इसकी ट्रेसिंग की जा रही है।
मार्च में 150 से ज्यादा रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी
अधिकारी ने कहा कि जम्मू के संभागीय आयुक्त राघव लांगेर हीरानगर में इस केंद्र में गए और उन्होंने वहां लोगों को उपलब्ध सुविधाओं पर संतुष्टि जताई । वहीं 6 मार्च को शहर में सत्यापन अभियान के दौरान करीब 168 रोहिंग्याओं को अवैध रूप से रहते हुए पाए जाने पर उन्हें इस केंद्र में भेज दिया गया था। प्रशासन की ओर से इन रोहिंग्याओं पर कड़ी नजर रखी जा रही है। साथ ही इलाकों में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है।
हजारों की संख्या में बसे हैं रोहिंग्या
बताया जा रहा है कि जम्मू में कई राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों ने केंद्र से रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को वापस भेजने के लिए अपील की है। ये सभी रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। इन दलों एवं संगठनों का आरोप है कि उनकी मौजूदगी ‘जनसांख्यिकी चरित्र को बदलने की साजिश एवं ‘शांति के लिए खतरा है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, जम्मू और सांबा जिलों में रोहिंग्या मुसलमानों एवं बांग्लादेशियों समेत 13700 से ज्यादा विदेशी बसे हुए हैं ।