नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत सरकार चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ जारी तनाव के बीच देश की सेनाओं को और ताकतवर बनाने में जुटी है। तीन राफेल लड़ाकू विमानों की खेप आज फ्रांस से बिना रुके भारत के अंबाला एयरबेस पर लैंड करेंगे। इसी के साथ भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की ताकत में और अधिक इजाफा होने वाला है। जानकारी के मुताबिक, तीन राफेल लड़ाकू विमान आज शाम अंबाला के एयरबेस पर लैंड करेंगे। ये तीनों विमान विमान फ्रांस से भारत की दूरी बिना रुके तय करेंगे। इसके लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के आसमान में ही तीनों विमानों में उड़ान के दौरान ही ईंधन (एयर टू एयर रिफ्यूलिंग) भरा जाएगा।
फ्रांसीसी और भारतीय राजनयिकों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भारतीय वायुसेना की एक टीम तीन राफेल को अंबाला लाने के लिए पहले ही फ्रांस पहुंच गई थी। जानकारी के अनुसार, तीन राफेल विमान बॉरडॉक्स में मेरिग्नाक एयरबेस से 31 मार्च की सुबह सात बजे उड़ान भरेंगे और बुधवार शाम सात बजे के करीब अंबाला में लैंड करेंगे। नौ विमानों का अगला जत्था अप्रैल में भारत आएगा। इनमें से पांच विमानों को उत्तरी बंगाल में हाशिमारा एयरबेस पर तैनात किया जाएगा।
36 राफेल खरीदने के लिए हुआ था सौदा
बता दें कि भारत ने फ्रांस सरकार के साथ सितंबर, 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा किया था। फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन से पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 28 जुलाई को भारत पहुंचा था। इस बेड़े ने फ्रांस से उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात में हाल्ट किया था, जहां उसने ईंधन भरा था। राफेल के पहले बेड़े को जब वायुसेना में शामिल किया गया था, तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे गेम चेंजर करार दिया था। उनका दावा था कि राफेल के साथ वायुसेना ने तकनीकी स्तर पर बढ़त हासिल कर ली है। राफेल नवीनतम हथियारों और सुपीरियर सेंसर से लैस लड़ाकू विमान है।

इतने राफेल छुड़ा रहे चीन के छक्के
भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित गोल्डन एरो स्क्वाड्रन ने जुलाई, 2020 और जनवरी, 2021 के बीच 11 राफेल लड़ाकू विमानों को पहले ही वायुसेना में शामिल कर लिया गया है। इन्हें लद्दाख सीमा पर तैना किया गया है। बता दें कि मई 2020 की शुरुआत से ही चीन के साथ सीमा गतिरोध के बाद सेना हाई अलर्ट पर है।
इसके साथ ही केंद्र सरकार फ्रांस की साफरान मिलिट्री एयरक्राफ्ट इंजिनों के संयुक्त विकास में भी रुचि दिखा रही है। उल्लेखनीय है कि राफेल लड़ाकू विमानों में 74 किलो न्यूटन के थ्रस्ट वाले दो एम88-3 साफ्रान इंजिन दिए गए हैं। लेकिन, राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकर्ता चाहते हैं कि डीआरडीओ के अत्याधुनिक मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए अधिक थ्रस्ट वाले (90 से 100 किलो न्यूटन) इंजिन चाहते हैं।
महामारी के बावजूद तय समय पर मिलेंगे राफेल
भारत में फ्रांसीसी दूत इमैनुअल लेनिन ने कहा है कि कोरोना के बावजूद 2022 तक तय समय में सारे लड़ाकू विमान भारत को सौंप दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि कोरोना के बावजूद हम भारत को तय समय और उससे पहले राफेल सौंपने के लिए सक्षम हैं।




