सिलीगुड़ी (एजेंसी)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद प्रदेश में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। इसके बाद सियासत तेज हो गई है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल को भाजपा का प्रवक्ता बताते हुए बंगाल को बदनाम करने का आरोप लगाया है। वहीं माकपा और कांग्रेस ने भी उन पर निशाना साधा है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि राज्य और केंद्र के बीच बेवजह का टकराव जारी है। इसकी कीमत राज्य के लोग भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह ऐसी लड़ाई है, जिसे टाला जा सकता है।
धनखड़ ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार विकास के दो पहिये हैं और लोगों की मदद के लिए ‘सहयोगात्मक संघवाद और एकसाथ मिलकर’ काम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महामारी ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य ढांचे की पोल खोल दी है। अगर सरकार आयुष्मान भारत योजना को अंगीकार करती, तो अच्छा होता। दुर्भाग्यवश, राज्य के लोग दूरदर्शिता की कमी और टाले जा सकने वाले टकराव की कीमत चुका रहे हैं।
किसान सम्मान निधि से वंचित रखा
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार ने देश में प्रत्येक किसान के खाते में सीधे 12,000 रुपये की राशि भेजी, लेकिन राज्य के लोग इस लाभ से वंचित रहे।
महिला अपराध के खिलाफ चिंता जताई
पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद से ही धनखड़ का राज्य सरकार के साथ टकराव जारी है। धनखड़ ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध की भी निंदा की। राज्यपाल रविवार से एक महीने की दार्जिलिंग यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि उनकी इस यात्रा का मकसद जमीनी वास्तविकताओं को जानना है।
राज्यपाल की दार्जिलिंग की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी राजग से अपना समर्थन वापस लेगी। गुरुंग ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है।
गुरुंग हत्या और यूएपीए के तहत अपराध के आरोपों में तीन साल तक फरार रहने के बाद हाल ही में नाटकीय रूप से कोलकाता में नजर आए थे। धनखड़ ने इस संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा कि कानून का भगोड़ा समाज के लिए भी भगोड़ा ही है।