नई दिल्ली (एजेंसी)। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मोरेटोरियम अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार हो गई है। ये राहत दो करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है।
ब्याज माफी एमएसएमई व शैक्षिक, हाउसिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, पेशेवर और उपभोग द्वारा लिए गए कर्ज के लिए लागू होगी।
पांच अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान ऋण के ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पांच अक्तूबर यानी सोमवार के लिए स्थगित की थी। पिछली सुनवाई के दौरान वरिष्ठ एडवोकेट राजीव दत्ता ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है। इसलिए केंद्र को विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस योजना पेश करने को कहा गया था।
बिगड़ सकती है बैंकों की वित्तीय स्थिति
इससे पहले आरबीआई ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर वह कर्ज किस्त के भुगतान में राहत के हर संभव उपाय कर रहा है। लेकिन जबरदस्ती ब्याज माफ करवाना उसे सही निर्णय नहीं लगता है क्योंकि इससे बैंकों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है। इसका खामियाजा बैंक के जमाधारकों को भी भुगतना पड़ सकता है।
रिजर्व बैंक ने किस्त भुगतान पर रोक के दौरान ब्याज लगाने को चुनौती देने वाली याचिका का जवाब देते हुए कहा था कि उसका नियामकीय पैकेज, एक स्थगन, रोक की प्रकृति का है, इसे माफी अथवा इससे छूट के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पहले कहा था, ‘बैंकिंग क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, हम ऐसा कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं जो अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है। हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला लिया है लेकिन भुगतान के दबाव को कम किया जाएगा।