नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान ऋण के ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पांच अक्टूबर तक स्थगित कर दी है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ एडवोकेट राजीव दत्ता ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है। इसलिए सरकार को और समय चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक अक्टूबर तक हलफनामा देने को कहा है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मोरेटोरियम की अवधि में स्थगित कर्ज की किस्तों के ब्याज पर ब्याज वसूलने का कोई तुक नहीं है। ग्राहकों को कुल छह महीने तक किस्त टालने का विकल्प मिला था। इस बीच ईएमआई के भुगतान को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। ऋण स्थगन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी चिंता केवल यह है कि क्या स्थगित किए गए ब्याज को बाद में देय शुल्कों में जोड़ा जाएगा या ब्याज पर ब्याज लगेगा।
इससे पहले आरबीआई ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर वह कर्ज किस्त के भुगतान में राहत के हर संभव उपाय कर रहा है। लेकिन जबरदस्ती ब्याज माफ करवाना उसे सही निर्णय नहीं लगता है क्योंकि इससे बैंकों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है। इसका खामियाजा बैंक के जमाधारकों को भी भुगतना पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के बंद रहने के दौरान पहले तीन माह और उसके बाद फिर तीन माह और कर्जदारों को उनकी बैंक किस्त के भुगतान से राहत दी थी। इस दौरान किस्त नहीं चुकाने पर बैंक की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरबीआई ने कहा कि इस अवधि का ब्याज भी नहीं लिया गया, तो बैंकों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।




