
भिलाई। छत्तीसगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश के अधिकतर जिलों में सख्त लॉकडाउन लगाया गया है। दुर्ग जिले में 20 सितबंर से लॉकडाउन की घोषणा की गई। इस दौरान जरूरी सेवाओं को सुबह 10 बजे तक संचालित करने की अनुमति मिली लेकिन मंगलवार को शहर का नजारा कुछ और ही रहा। अचानक पेट्रोल पंपों में लंबी कतारें दिखने लगी और सब्जी बजार में पैर रखने की जगह नहीं थी। दरअसल यह इसलिए हुआ कि जिला कलेक्टर ने वर्तमान में लगे लॉकडाउन में कुछ संशोधन करते हुए 24 सितंबर से सख्त लॉकडाउन का ऐलान किया है।
बता दें कि जिला कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में पूर्व में लगाए गए लॉकडाउन के दिशा निर्देशों में संशोधन किया गया। 24 सिंतबंर की सुबह से लगने वाले लॉकडाउन में लोगों को घर से निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी होगी। इस दौरान लोगों को न तो पेट्रोल मिलेगा और न ही लोगों को किराना सामान व सब्जियां मिलेंगी। यानि आम लोगों रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें भी नहीं मिलेंगी। इस संबंध में जिला कलेक्टर ने 21 सितंबर को आदेश जारी किया और 22 सितंबर की सुबह शहर में ऐसी भीड़ उमड़ी कि लोगों को इस बात का भी ध्यान नहीं रहा कि जिले में लॉकडाउन लगा हुआ है।
सुबह 6 बजे से लगी पेट्रोलपंपों में कतारें
24 सितंबर से 30 सितंबर तक लोगों को पेट्रोलपंपों में पेट्रोल भी नहीं मिलेगा। इसका असर यह हुआ कि मंगलवार की सुबह 6 बजे से ही पेट्रोलपंपों में लोगों की लंबी कतारें लग गई। भिलाई दुर्ग के लगभग सभी पेट्रोलपंपों में सैकड़ों वाहनों की कतारें सुबह से ही लगी रही। वाहनों में तेल भरवाने के अलावा लोग बोतलों में भी घर पेट्रोल ले जाते दिखे। इस दौरान यह भी देखा गया कि लोग 100 या 200 रुपए का नहीं बल्कि 500 रुपए या उससे अधिक का पेट्रोल ले रहे थे। इस वजह से वाहनों को पेट्रोल देने में भी कर्मियों को काफी समय लगा।

सब्जी बाजारों में उमड़ा जनसैलाब
पेट्रोलपंपों के अलावा सब्जीमंडियों में काफी भीड़ देखी गई। शहर के सब्जी बाजारों में तो ऐसे हालत रहे कि लोगों को पैर रखने तक की जगह नहीं मिली। अफरातफरी के बीच सब्जी व्यवसायियों ने खूब चांदी काटी। आसमान छूते दरों के बीच लोगों महंगी सब्जियां खरीदने के लिए मजबूर दिखे। आज सब्जी बाजार में आम दिनों की अपेक्षा और महंगी दरों पर सब्जियां बेची गईं। इसके अलावा लोग राशन का सामान लेने के लिए भी भटकते दिखें लेकिन बाजार की दुकाने बंद होने के कारण लोगों को किराना सामान नहीं मिल पाया। वहीं गली मोहल्ले की दुकानों में चोरी छिपे व्यापार होता रहा।




