भिलाई। जिले में बढ़ते कोरोना मरीजों की बड़ी वजह स्वास्थ्य विभाग का लापरवाह रवैय्या है। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ही किसी प्रकार की जानकारी नहीं होती। संदिग्धों का स्वास्थ्य केन्द्रों में आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है और छोड़ दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट तीन दिन में आ जाती है लेकिन यहां एक सप्ताह से भी अधिक समय होने के बाद भी रिपोर्ट का कुछ पता नहीं होता। इस प्रकार संदिग्ध मरीज अपनी रिपोर्ट जानने के लिए भटक रहे हैं।
बता दें कि इन दिनों पूरे प्रदेश के साथ ही दुर्ग जिले में कोरोना संक्रमित बड़ी संख्या में मिल रहे हैं। रोजाना मिलने वालें संक्रमितों में से अधिकतर की जांच सप्ताह भर पहले हो चुकी होती है। आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आने में देरी के कारण मरीजोंं की संख्या के साथ साथ संदिग्धों की संख्या भी बढ़ रही है। जिस संदिग्ध का टेस्ट होता है वह रिपोर्ट आने तक कईयों के संपर्क में होता है। बाद में जब रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो स्वास्थ्य विभाग प्रायमरी कांटेक्ट तलाशने का काम शुरू कर देता है।
कोरोना टेस्ट में वीआईपी ट्रीटमेंट
स्वास्थ्य महकमें में कोरोना टेस्ट को लेकर वीआईपी ट्रीटमेंट भी जोरो पर है। रसुकदार व पहुंचवाले व्यक्ति को यदि संक्रमण का संदेह होता है तो उनका आरटीपीसीआर रिपोर्ट तय समय से पहले सामने आ जाता है। वहीं आम लोगों की रिपोर्ट एक सप्ताह से लेकर 15 से 20 दिनों तक पता नहीं चल पाता। इस संबंध में जब स्वास्थ्य विभाग से जानकारी लेने का प्रयास किया जाता है तो यहां से जो जवाब मिलता है उसकी कल्पना करना मुश्किल है। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एक आरटीपीसीआर रिपोर्ट की जिम्मेदारी ही नहीं लेते। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस टेस्ट के रिपोर्ट की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं होती तो फिर ऐसे टेस्ट कराने का क्या औचित्य है।
कलेक्टर कर रहे हैं दिनरात मेहनत, स्वास्थ्य विभाग फेर रहा पानी
बता दें कि जिले के कलेक्टर सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे दिनरात कोरोना संक्रमण को रोकने व इस पर काबू पाने के लगातार प्रयास कर रहे हैं। जिला स्तर से लेकर ब्लाक स्तर पर बैठके लेकर अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दे रहे हैं। कलेक्टर की इस मेहनत पर स्वास्थ्य विभाग पानी फेर रहा है। एक ओर कलेक्टर भूरे जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द देने की बात कर रहे हैं वहीं स्वास्थ्य विभाग रिपोर्ट को लेकर गंभीर नहीं रहता। जिले में जांच का दायरा तो बढ़ाया गया लेकिन तय समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने से हालात भयावह होते जा रहे हैं।
हमें नहीं दी जाती जानकारी: गंभीर सिंह ठाकुर
दुर्ग जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गंभीर सिंह ठाकुर ने मोबाइल पर इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि आरटीपीसीआर टेस्ट की जानकारी उन्हें स्वयं नहीं रहती है। गंभीर सिंह ठाकुर ने कहा आरटीपीसीआर टेस्ट होने के बाद इसके सैंपल एम्स रायपुर भेजे जाते हैं। यहां से हमारा काम खत्म हो जाता है। जांच होने के बाद एम्स द्वारा रिपोर्ट आईसीएमआर के पोर्टल में अपलोड किया जाता है। आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आने में एक सप्ताह से भी अधिक का समय लगता है। सीएमएचओ गंभीर सिंह ठाकुर से एक जांच के संबंध में पूछा गया जिसमें 20 दिन तक रिपोर्ट नहीं आने की बात उन्हें बताई गई तो उनका जवाब था जिसकी रिपोर्ट 20 दिन तक नहीं आई तो वह अपने आप ही निगेटिव हो गई। ऐसे मरीज को क्या दवा दी जाए।