भिलाई। कोरोना संक्रमण का असर जितना आम लोगों पर पड़ा है उतना ही पर्वों पर भी इसका असर हो रहा है। आज गणेश चतुर्थी है और पहली ऐसा हो रहा है कि कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं है। न कोई बड़ी झांकी है और न भव्य पंडाल। पहली बार गणेश चतुर्थी का पर्व बेरौनक लग रहा है। हलांकि लोगों ने अपने अपने घरों पर गणपति स्थापित कर पूजा अर्चना की लेकिन ट्विनसिटी में हलचल गणेश चतुर्थी की दिखनी चाहिए वह नहीं है।
कोरोना संक्रमण के कारण 11 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाने वाला एक मात्र उत्सव गणेश चतुर्थी इस बार फीका है। शहर में हर साल सैकड़ों विशाल पंडाल बनते रहे हैं। इनमें से कुछ पंडाल काफी भव्य होते हैं जहों रोजना हजारों की तादात में दर्शनार्थी केवल पंडाल व झांकी के दर्शनों के लिए जाते हैं। शाम होते ही सड़कों पर दर्शनार्थियों की भीड़ जमा हो जाती थी जो इस बार कहीं नजर नहीं आ रही। कहते हैं गणेश चतुर्थी से त्योहारों की खरीदारी भी शुरू हो जाती है लेकिन इस बार बाजार भी ग्राहकों के लिए तरस रहे हैं।
मूर्तिकारों को हुआ भारी नुकसान
गणेश चतुर्थी ही एक ऐसा पर्व हैं जब घरों से लेकर गली मोहल्लों व चौक चौराहों पर छोटे बड़े हजारों पंडाल सजते हैं। बच्चों से लेकर बड़ी समितियों द्वारा भव्य रूप से पूजा अनुष्ठान कराए जाते हैं। इस दौरान हजारों की तादात में मूर्तियां की बिक्री होती है। छोटे बड़े सभी मूर्तिकार इस दौरान अच्छा मुनाफा कमाते हैं लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मूर्तिकारों को इस बार काफी नुकसान झेलना पड़ा है। सार्वजनिक उत्सव नहीं होने के कारण बड़ी मूर्तियों का ऑर्डर नहीं हुआ। इस बार केवल घरों में पूजा के लिए छोटी मूर्तियों की ही बिक्री हुई।