नई दिल्ली (एजेंसी)। सचिन पायलट और 18 अन्य उनके समर्थक विधायकों के बागी होने के बाद राजस्थान कांग्रेस में अभी तक सियासी संकट बरकरार है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से फौरन विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर राज्यपाल की तरफ से मंजूरी नहीं मिलने के बाद एक तरफ जहां गहलोत ने धमकी देते हुए यहां तक कह दिया कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो लोग राजभवन का घेराव करने आ जाएंगे तो वहीं कांग्रेस कह रही है कि राज्यपाल केन्द्र में ‘मास्टर’ के इशारे पर काम कर रहे हैं।
रविवार को प्रेस के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल कलराज मिश्र पर दबाव बनाते हुए कहा कि वे पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं और सिर्फ केन्द्र में ‘मास्टर’ की आवाज ही सुन रहे हैं। सिंघवी ने कहा- राज्यपाल काम राज्य के मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करना चाहिए, लेकिन वह मास्टर की आवाज सुन रहे हैं, जो केन्द्र की सरकार में हैं।
गौरतलब है कि सचिन पायलट समेत कांग्रेस पार्टी के 19 विधायकों के बागी होने के बाद मामला हाईकोर्ट में गया। लेकिन, स्पीकर के अयोग्यता के नोटिस पर राजस्थान हाईकोर्ट की तरफ से सचिन पायलट को राहत मिलने और यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश के बाद अब अशोक गहलोत फौरन विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं।
लेकिन, अड़चन ये है कि राज्यपाल कलराज मिश्र की तरफ से इसके लिए उन्हें मंजूरी नहीं मिली है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने समर्थक विधायक के साथ राजभवन गए थे। उस समय राज्यपाल ने उनसे कई सवाल किए। हालांकि, गहलोत की तरफ से गया कि जो बातें राज्यपाल की तरफ से पूछी गई थी उसका जवाब दे दिया गया है और अब राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए। गहलोत ने अब 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग रखी है जो पहले 26 जुलाई यानी सोमवार से बुलाने की मांग की गई थी।
