शिशु में डायपर रैश होना आम बात है। शिशु के यौन अंगों पर लाल रंग के चकत्तों को डायपर रैशेज कहा जाता है। मल या पेशाब से जलन, किसी नए खाद्य पदार्थ या प्रोडक्ट, संवेदनशील त्वचा और ज्यादा टाइट डायपर पहनने की वजह से डायपर रैशेज हो सकते हैं। बच्चों की स्किन बुहत सेंसिटिव होती है इसलिए कोई भी क्रीम का मेडिकल ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। आप डायपर रैशेज के घरेलू उपाय अपना सकती हैं, ये बहुत कारगर होते हैं।
नारियल तेल
नारियल तेल में सैचुरेटेड फैट होता है जो शिशु की त्वचा को मुलायम और मॉइस्चराइज रखता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं जिससे रैशेज के इलाज में मदद मिलती है।
आधा चम्मच शुद्ध नारियल तेल लें और उसे हथेलियों पर लगाकर प्रभावित हिस्से की मालिश करें। दिन में दो से तीन बार इस नुस्खे को अपनाएं।
ओटमील
इसमें उच्च मात्रा में मौजूद प्रोटीन शिशु की त्वचा को मुलायम करता है। इसमें सैपोनिन नामक यौगिक भी होता है जो स्किन के रोमछिद्रों से धूल-मिट्टी और तेल को हटाता है। ओटमील के एंटी-इंफ्लामेट्री गुण डायपर रैशेज की वजह से होने वाली जलन और सूजन को भी दूर करता है।
एक चम्मच सूखे ओटमील को शिशु के नहाने के पानी में मिला दें। इस पानी में शिशु को 15 से 20 मिनट के लिए बैठाएं। अब शिशु को पानी से बाहर निकाल कर अच्छी तरह से पोंछ लें। ऐसा आपको दिन में दो बार करना है।
सेंधा नमक
सेंधा नमक में सूजन-रोधी गुण और उच्च मात्रा में मैग्नीशियम होता है। ये त्वचा की जलन और सूजन को कम करने में मदद करता है।
एक टब पानी में आधा कप सेंधा नमक डालें। अब 15 से 20 मिनट तक शिशु को नमक के पानी में बैठाकर रखें। आपको ये उपाय हफ्ते में दो से तीन बार करना है।
दही
दही में सूजन-रोधी और प्रोबायोटिक होते हैं जो कई तरह के यीस्ट एवं माइक्रोबियल इंफेक्शन पर असरकारी होते हैं। अगर आपने शिशु को ठोस आहार देना शुरू कर दिया है तो डायपर रैशेज के घरेलू इलाज के तौर पर बच्चे के आहार में दही को शामिल करना शुरू कर दें।
इसके अलावा आप डायपर रैश वाली जगह पर दही लगा भी सकती हैं। आपको ये उपाय रोज करना है।
एलोवेरा जेल
एलोवेरा में अनेक औषधीय गुण होते हैं। ये रैशेज की वजह से होने वाली जलन और सूजन को कम कर त्वचा को ठंडक प्रदान करता है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं तो डायपर रैश पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर सकते हैं।
डायपर रैशेज से बचने के टिप्स
डायरपर गीली होने पर तुरंत बदल दें।
डायपर बदलने पर शिशु के यौन अंगों को अच्छी तरह से साफ करें।
डायपर को ज्यादा टाइट न बांधें।
बच्चे के कपड़ों को हल्के वॉशिंग पाउडर से धोएं।
शिशु की त्वचा को ज्यादा तेजी से रगड़ें नहीं बल्कि हल्के हाथ से पोंछें।
जितना हो सके बच्चे की स्किन को सूखा रखें।
स्किन को सांस लेने दें और इसके लिए बच्चे को हर समय डायपर पहनाकर न रखें।