नई दिल्ली (एजेंसी)। अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था।
17.42 अरब डॉलर रहा व्यापार अंतर
अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा। 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था। अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था।
भारत और चीन के बीच घटा द्विपक्षीय व्यापार
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के मुताबिक, चीन 2013-14 से 2017-18 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। चीन से पहले, यूएई देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

आयात पर निर्भरता कम की जाए- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जानकारों का मानना है कि इस समय भारत को जो दो महत्वपूर्ण काम करने हैं, उसमें चीन पर आर्थिक दबाव डालना और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर आगे बढऩा है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात के प्रसारण में आत्मनिर्भर भारत बनने की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में बनने वाली वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाए और दूसरे देशों से आयात पर निर्भरता कम की जाए।
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ता गया, वैसे ही चीन की भारत में हिस्सेदारी भी बढ़ती गई। साल 2001-2002 में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार महज तीन अरब डॉलर का था जो 2018-19 में बढ़कर 87 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आयात-निर्यात के गणित को समझें तो भारत ने चीन से करीब 70 अरब डॉलर का आयात किया, वहीं चीन को करीब 17 अरब डॉलर का निर्यात किया।




