नई दिल्ली (एजेंसी)। चीन द्वारा एलएसी और पाकिस्तान के एलओसी पर सैनिक जमावड़ा बढ़ाने को लेकर भारत तनाव में नहीं है। इसे माइंडगेम के हिस्से के रूप में देख रहे चीन को आर्थिक मोर्चे पर झटका देने का सिलसिला भारत जारी रखेगा। इसके तहत संभवत: इसी हफ्ते चीन से आयात होने वाली प्रमुख वस्तुओं पर सीमा शुल्क में भारी बढ़ोतरी करेगा।
इसके अलावा तनातनी के बावजूद भारत ने अपनी ओर से शीर्ष स्तर पर कूटनीतिक वार्ता के लिए पहल नहीं करने का फैसला किया है। सरकार के उच्चस्तरीय सूत्र के मुताबिक चीन हमेशा की तरह अब भारत के साथ माइंड गेम में उतर गया है। उसकी रणनीति पाकिस्तान, नेपाल सहित अन्य पड़ोसियों को साध कर भारत पर दबाव बनाने की है। यही कारण है कि सैन्य स्तर की बातचीत में चीन अपने पुराने रुख पर अडिग है।
हालांकि भारत ने चीन को आर्थिक झटका देकर उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया है। निकट भविष्य में भी आर्थिक झटका देने का सिलसिला जारी रहेगा, क्योंकि द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध बिगडऩे का चीन को भारत की तुलना में चार से पांच गुना ज्यादा घाटा उठाना होगा। एलएसी और एलओसी पर अक्तूबर में बर्फबारी के साथ ही चीन और पाकिस्तान अपनी सेना की संख्या में कटौती के लिए मजबूर हो जाएंगे।
आर्थिक दांव को सफल मान रहा भारत
चीन को आर्थिक मोर्चे पर झटका देने की रणनीति को भारत सफल मान रहा है। चीन में इस कदम पर जिस तरह की प्रतिक्रिया हो रही है, उससे भारत को लगता है कि उसके इस दांव का उस पर बड़ा असर पड़ रहा है। यही कारण है कि भारत ने इस रणनीति पर आगे बढ़ाने का फैसला किया है। ऐसे में निकट भविष्य में भारत चीनी वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने सहित कई ऐसे फैसले लेगा जिससे चीन को आर्थिक नुकसान उठाना पड़े।
चीन पहले भी खेलता रहा है माइंडगेम
चीन हमेशा से अपने पड़ोसियों के साथ माइंडगेम खेलता रहा है। भारत मानता है कि पाकिस्तान को पीओके में सैनिकों का जमावड़ा बढ़ाने, नेपाल को भारत के खिलाफ उकसाने जैसी चीन की रणनीति इसी माइंडगेम का हिस्सा है। दरअसल भारत ने भी चीन की आर्थिक मोर्चे के अलावा सामारिक मोर्चे पर भी घेराबंदी की है।
अमेरिका का दक्षिण चीन सागर के आसपास सैन्य जमावड़ा बढ़ाने, फ्रांस, जापान, जर्मनी जैसे देशों के समर्थन के कारण चीन की स्थिति भी सहज नहीं है। डोकलाम विवाद के दौरान भी चीन ने इसी तरह माइंडगेम का सहारा लेते हुए भारत पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार की थी। हालांकि भारत ने अंत तक आक्रामक रुख जारी रखकर चीन को झुकने पर मजबूर किया था।
अपने घाटे का भी किया आकलन
चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट पर भारत ने भी स्थिति का आकलन किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के मुकाबले चीन को ज्यादा घाटा उठाना होगा। चीन के जवाबी आर्थिक हमले में भारत को लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र में शुरुआती घाटा उठाना होगा, क्योंकि यह उद्योग कच्चे माल में चीन पर निर्भर है।
मगर इसका लाभ यह है कि निकट भविष्य में भारत कांच, सिल्क, दवाई सहित अन्य क्षेत्रों में खुद जरूरत का कच्चा माल बनाने की स्थिति में होगा। इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद के मामले में भारत के पास जापान-कोरिया जैसे देशों का विकल्प मौजूद है।