नई दिल्ली। सीमा विवाद के बीच भारत सरकार ने लद्दाख में एलएसी के इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर जोर दिया है। लद्दाख में 54 मोबाइल टावर लगाने का काम शुरू हो गया है। एलएसी के नजदीक डेमचोक में भी मोबाइल टावर लगेगा। नुब्रा में 7, लेह में 17, जंसकार में 11 और कारगिल में 19 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे।
इसी बीच, सेना प्रमुख एमएम नरवणे लद्दाख दौरे से दिल्ली वापस लौट आए हैं। सेना प्रमुख नरवणे, सीडीएस बिपिन रावत को लद्दाख के हालात की जानकारी देंगे। सेना प्रमुख सरकार को भी हालात की जानकारी देंगे। सेना प्रमुख ने 2 दिन लद्दाख में सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की।
भारत ने लद्दाख में शक्तिशाली टी-90 भीष्म टैंक को तैनात किया है। यानी लद्दाख में भारतीय सेना ने अपने सबसे मजबूत हथियार से चीन को चुनौती दी है। सीमा पर लगभग 2 महीने से चीन के साथ विवाद चल रहा है। चीन ने अपनी सीमा में टैंक, तोप, बख्तरबंद गाडिय़ों और सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। इसका जवाब देने के लिए इसी महीने भीष्म टैंक को लद्दाख के मोर्चे पर लाया गया है और इसे आप 73 वर्षों में भारत का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन भी कह सकते हैं।
लद्दाख के डेमचोक और स्पांगुर गैप इलाके में रेतीली जमीन और सपाट मैदान हैं। इन दोनों इलाके में भीष्म अपनी पूरी रफ्तार से आगे बढ़ सकते हैं। डेमचोक इलाके में पांच महत्वपूर्ण पास यानी रास्तों की सुरक्षा भी ये टैंक कर सकते हैं। डेमचोक और स्पांगुर गैप से चीन का महत्वपूर्ण जी219 हाई वे लगभग 50 किलोमीटर दूर है और अगर यहां लड़ाई हुई तो भारतीय टैंक चीन के इस हाईवे को आसानी से निशाना बना पाएंगे।
इसलिए लद्दाख में भीष्म टैंक तैनात किया गया
असल में गलवान घाटी के बाद अब भारत और चीन के बीच टकराव का मुख्य मुद्दा पेंगॉन्ग झील बन चुकी है। चीन ने पेंगोंग झील के फिंगर 8 से लेकर फिंगर 4 तक कब्जा कर लिया है और अब वहां पर सैन्य निर्माण कर रहा है, जिसपर भारत को सबसे ज्यादा आपत्ति है लेकिन लद्दाख में भीष्म की एंट्री के बाद यहां का शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में आ गया है।