नई दिल्ली. भारत ने 3,488 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपने विशेष युद्ध बलों को तैनात किया है, जो कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पश्चिमी, मध्य या पूर्वी सेक्टरों में किसी भी प्रकार के हमले से जूझ सकते हैं। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने पुष्टि की है कि भारतीय सेना को पीएलए द्वारा सीमा पार से किसी भी हरकत का आक्रामकता से एलएसी पर जवाब देने का निर्देश दिया है। उत्तरी मोर्चे पर लड़ने के लिए पिछले कई दशकों में प्रशिक्षित विशेष बलों को LAC पर भेजा गया है। भारतीय पर्वतीय सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित किया जाता है और ये पहाड़ों पर कारगिल युद्ध भी लड़ चुके हैं। एक पूर्व सेना प्रमुख ने बताया है कि पहाड़ पर लड़ने की कला सबसे कठिन है। उत्तराखंड, लद्दाख, गोरखा, अरुणाचल और सिक्किम में तैनात सैनिक दुर्लभ ऊंचाइयों में रहते हैं और इसलिए उनकी लड़ने की क्षमता बहुत अधिक है।

इससे सेना के लिए फायदे की दूसरी बात यह है कि तिब्बती प्लेट्यू चीन की तरफ समतल है जबकि भारतीय पक्ष काराकोरम में K2 चोटी से शुरू होती है। यह उत्तराखंड में नंदादेवी तक, सिक्किम में कंचनजंग और अरुणाचल प्रदेश सीमा के नामचे बरवा तक पहाड़ हैं। साउथ ब्लॉक वाले चीन के एक विशेषज्ञ ने कहा, “पहाड़ों में न केवल क्षेत्र पर कब्जा करना मुश्किल है, बल्कि इसे पकड़ना ज्यादा मुश्किल है।” गौरतलब है कि बीते 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना की झड़प में चीन के 40 से ज्यादा जवान या तो घायल हुए या मारे गए। वहीं भारत केे 20 जवान शहीद हुए। सैन्य सूत्रों ने जानकारी दी कि इससे पहले पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प वाले स्थान के पास भारत और चीन की सेनाओं के डिविजनल कमांडरों के बीच बैठक बेनतीजा रही। मेजर जनरल स्तरीय बातचीत में गलवान घाटी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करने पर चर्चा हुई । छह जून को दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में इसी पर सहमति बनी थी।