रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां निवास कार्यालय में आयोजित वन विभाग की बैठक में राज्य के ग्रामीण वनवासियों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। जिसके तहत अब छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीकृत वनोपजों को छोड़कर अन्य लघु वनोपजों के लिए परिवहन अनुज्ञा पत्र (टीपी पास) लेने की अनिवार्यता खत्म कर करने का अहम निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही वन्य प्राणियों के उपचार के लिए दो अत्याधुनिक और सर्व सुविधा युक्त अस्पताल विकसित करने, मैदानी अमलों पर नियंत्रण के लिए वन विभाग के द्वारा मोबाईल एप तैयार करने सहित अनेक मुद्दों पर निर्णय लिया गया। राज्य में लघु वनोपजों के लिए परिवहन अनुज्ञा पत्र समाप्त होने से इसके परिवहन से जुड़े व्यापारियों को विक्रय हेतु लघु वनोपज एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में सुविधा होगी। इस अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने बैठक में राज्य में हाथियों सहित अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण पर भी विभागीय अधिकारियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया। इस दौरान उन्होंने राज्य में वन्य प्राणियों के संरक्षण के उपायों को बेहतर बनाने सहित इनकी निगरानी के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। राज्य में विगत 10 वर्षों के दौरान हाथियों सहित अन्य वन्य प्राणियों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में पिछले 10 वर्षों में हाथियों की संख्या 225 से बढ़कर आज 290 तक हो गई है। इसके अलावा वन तथा राजस्व क्षेत्रों में विशेषकर हाथी प्रभावित क्षेत्रों में वन्यप्राणियों के बचाव के लिए खुली विद्युत तारों को ऊर्जा और वन विभाग के द्वारा केबल लगाने के संबंध में भी विचार किया गया।
बैठक में वन विभाग के मैदानी अमले पर नियंत्रण और फिल्ड में उनकी उपस्थिति सुुनिश्चित करने के लिए मोबाईल एप विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इस एप के माध्यम से वन विभाग के फोरेस्ट गार्ड से लेकर उच्च स्तर के सभी अधिकारियों की मॉनिटरिंग की जाएगी। इससे वन प्रबंधन और वन्य प्राणियों के संरक्षण में तत्काल जरूरी कदम उठाए जा सके। इसी तरह मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य में वन्य प्राणियों तथा हाथियों के दल की सतत निगरानी के लिए सभी प्रभावित वन मण्डलों में 10-10 लोगों को चयन कर टीम बनाने के भी निर्देश दिए हैं। बैठक में उन्हें वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से राशि भुगतान करने का निर्णय लिया गया। राज्य में वर्तमान में महासमुन्द वन मण्डल के अंतर्गत मानव-हाथी द्वंद में नियंत्रण के लिए संचालित मोबाईल बेस्ड एलर्ट सिस्टम की सराहना करते हुए इसे धरमजयगढ़ और सूरजपुर वन मण्डल के 10-10 गांवों में लागू करने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने बैठक में वन्य प्राणियों के त्वरित उपचार दिलाने के मद्देनजर राजधानी रायपुर के जंगल सफारी स्थित पशु चिकित्सालय और बिलासपुर के कानन पेंडारी स्थित पशु चिकित्सालय को अत्याधुनिक और सर्व सुविधा युक्त अस्पताल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। इस दौरान चर्चा करते हुए वन मंत्री श्री अकबर ने बताया कि वन विभाग में वर्तमान में कार्यरत पशु चिकित्सक संविदा नियुक्ति पर है, वन्य प्राणियों के उपचार के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक बनने के पहले ही कई चिकित्सक अन्य सेवाओं में चले जाते हैं। जिसके कारण वन्यप्राणियों के उपचार में कई बार कठिनाईयां आती है। मुख्यमंत्री ने वन मंत्री श्री अकबर के अनुरोध पर पशु चिकित्सा विभाग में कार्यरत चिकित्सकों को वन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर लेने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी 20 वन मण्डलों में जहां वन्य प्राणियों की संख्या ज्यादा है, वहां इन चिकित्सकों को प्राथमिकता से तैनात करने कहा।
बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री अतुल शुक्ला, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण पाण्डेय, कैम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वी श्रीनिवास राव, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सौम्या चौरसिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।