भिलाई। धार्मिक पर्व रथयात्रा की आहट शुरू हो गई है। नाथों के नाथ महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाएंगे। इससे पहले आज जगन्नाथ मंदिरों में देवस्नान पूर्णिमा की विशेष पूजा का अयोजन किया गया। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार देवस्नान पूर्णिमा की पूजा सादगी के साथ संपन्न की गई। जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-6 व सेक्टर-4 में आज सुबह देवस्नान पूर्णिमा की पूजा का आयोजन किया गया। मुख्य पुजारी के साथ कुछ सहयोगियों ने मिलकर देव स्नान पूर्णिमा की पूजा संपन्न कराई।
मान्यता है कि देवस्नान पूर्णिमा के दिन अत्याधिक स्नान करने से भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं और 15 दिनों तक उनका श्रीमंदिर में विभिन्न जड़ी बूटियों के साथ इलाज किया जाता है। इस दौरान मंदिर के पट बंद किए जाते हैं। धार्मिक आस्था से जूड़ा देवस्नान पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ मंदिर सेक्टर -6 में महाप्रभु जगन्नाथ, बलभ्रद एवं बहन सुभ्रदा को कलशों से स्नान कराया गया। स्नान से पहले पौड़ी की रस्म निभाते हुए भगवान जगन्नाथ को स्नान मंडप में लाकर उनकी पूजा-अर्चना की गई।

नहीं दिखी भक्तों की भीड़, मुख्य पुजारी ने किया आयोजन
आमतौर पर देवस्नान पूर्णिमा पर जगन्नाथ मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। कोरोना संक्रमण का असर यहां पर भी दिखा। महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा व सुदर्शन का स्नान तो कराया लेकिन भक्तों की भीड़ नहीं दिखी। श्री जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-6 के मुख्य पुजारी तुषार महापात्रा ने बताया कि देवस्नान पूर्णिमा की पूजा बेहद सादगी व विधि विधान के साथ संपन्न की गई है। कोरोना के कारण प्रशासन द्वारा भीड़ प्रतिबंदित है लेकिन परंपरा का निर्वाहन भी जरूरी है। इसे देखते हुए मंदिर कमेटी के चंद सदस्यों की उपस्थिति में पूजा अनुष्ठान संपन्न कराया गया।

15 दिनों तक महाप्रभु जगन्नाथ करेंगे दवाओं का सेवन
मान्यता के अनुसार महाप्रभु स्नान के बाद बीमार हो जाएंगे। स्नान के बाद महाप्रभु जगन्नाथ को नए वस्त्रों से सजाया जाएगा। अगले 15 दिनों तक उन्हें विभिन्न प्रकार की औषधियां दी जाएंगी। वहीं महाप्रभु को गर्भगृह में रखने की बजाय अणसर गृह में उन्हें सुलाया जाएगाा। 15 दिन बाद नेत्र उत्सव होगा और उसके बाद महाप्रभु अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर की ओर रवाना होंगे। रथयात्रा का पर्व इस बार 23 जून को मनाया जाएगा। कोरोना को देखते हुए हालांकि अभी तक मंदिर समितियों की ओर से रथयात्रा किस प्रकार निकाली जाएगी इसे लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है।