नई दिल्ली. चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत अपने रक्षा तंत्र को लगातार मजबूत कर रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अपनी स्थिति मजबूत करने और चीन पर रणनीतिक नजर रखने के लिए भारत ने मारक हथियारों का एक प्लेटफॉर्म तैयार किया है। बंगाल की खाड़ी के लिए भी विशेष तौर पर लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम स्ट्राइक्स तैनात किए जा रहे हैं। इसके साथ ही एयरक्राफ्ट कैरियर और दूसरे उच्च क्षमता वाले किसी भी मौसम और दिन-रात दोनों ही समय में टारगेट पर अटैक की क्षमता वाले हथियारों को क्षेत्र के लिए तैयार किया जा रहा है।
सुखोई से वायु सेना और ताकतवर
भारतीय वायु सेना चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए खास तैयारी में जुटा है। एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने कहा, ‘तमिलनाडु के तंजावुर एयरबेस में सुखोई-30MKI फाइटर जेट्स 2.5 टन की क्षमता वाले सुपरसॉनिक ब्रहमोस क्रूज मिसाइल का स्क्वॉडरन भी आयोजित किया जा रहे। इन सुखोई विमान को बेडे़ में शामिल करने के बाद वायु सेना के अभियानों की क्षमता में काफी वृद्धि होगी साथ ही समुद्र में मारक क्षमता में भी विस्तार होगा।

अचूक हैं ब्रह्मोस मिसाइल
ब्रह्मोस के डायरेक्टर जनरल सुधीर मिश्रा ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘यह एक तरह से हमारे सपनों के साकार होने के जैसा है। भारतीय वायु सेना समुद्र और जमीन दोनों पर ही लंबी दूरी के बावजूद लक्ष्य पर अचूक वार करने में सक्षम मिसाइलों से लैस करने की कोशिश थी। अब यह सपना पूरा हो रहा है।’

ब्रह्मोस और सुखोई से वायु सेना की नई उड़ान
नए सुखोई स्क्वॉडरन का नाम टाइगर शार्क्स रखा गया है। तमिलनाडु के तंजावुर एयरबेस में सोमवार को चार से छह फाइटर जेट को बेड़े में शामिल किया जा सकता है। इस साल के अंत तक बेड़े में 18 सुखोई फाइटर जेट शामिल करने की योजना है। सुखोई फाइटर जेट हवा में 1500 किमी. तक मार करने में सक्षम है तो ब्रह्मोस मिसाइल भी 290 किमी. रेंज तक लक्ष्य पर अचूक निशाना साधने की क्षमता से लैस है।