मुंबई. हिंदुजा समूह और अमेरिकी फंड इंटरप्स इंक ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए संयुक्त रूप से बोली लगाने की निर्णय किया है। सरकार अभी घाटे वाली इस विमानन कंपनी को बेचने के लिए बोली दस्तावेज तैयार कर रही है।
हिंदुजा समूह ने इससे पहले जेट एयरवेज के अधिग्रहण में भी दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन एयर इंडिया में बेहतर अवसर को देखते हुए जेट के लिए उसने औपचारिक बोली नहीं लगाई। घटनाक्रम के जानकार एक सूत्र ने बताया, ‘हमारी नजर एयर इंडिया पर है और बोली दस्तावेज तैयार होने के बाद इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। एयर इंडिया के 29,500 करोड़ रुपये का कर्ज विशेष उद्देश्यीय इकाई – एयर इंडिया ऐसेट होल्डिंग में हस्तांतरण करने से संभावित बोलीदाता को बढ़ावा मिला है। इसके साथ ही एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचना भी सही कदम है क्योंकि पहले सरकार 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन उस समय कोई भी बोलीदाता सामने नहीं आया था।

लवासा कॉर्पोरेशन और होटल क्लैरिजेज (नई दिल्ली) के लिए बोली लगाने वाली इंटरप्स इंक ने कहा कि वह भारत सरकार द्वारा एयर इंडिया के लिए बोली दस्तावेज जारी करने का इंतजार कर रही है और एयर इंडिया के लिए वह प्रबल दावेदार के तौर पर सामने आएगी। इंटरप्स इंक के चेयरमैन लक्ष्मी प्रसाद ने कहा, हमने मंत्रालय के साथ बातचीत शुरू कर दी है और हमारे मुख्य कार्याधिकारी लुईस जोंस अगले हफ्ते भारत जाएंगे। रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) संपत्तियों को अधिग्रहण में शामिल नहीं करने को लेकर हमारी कुछ चिंता है और इस बारे में हम सरकार से बात करेंगे कि एमआरओ के बिना हमारे चिह्नित आॅपरेटरों को विमानों का रखरखाव करना कठिन होगा।

टाटा समूह ने भी एयर इंडिया में दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन कानूनी अड़चनों की आशंका से शायद वह आगे नहीं बढ़ा। समूह पहले से ही दो विमानन कंपनी एयर विस्तार और एयर एशिया इंडिया का परिचालन कर रहा है और आने वाले महीनों में 80 विमानों को बेड़े में शामिल करने की योजना है। एयर इंडिया को निजी हाथों में देना महत्त्वपूर्ण कदम होगा क्योंकि सरकार 2012 से इसमें करदाताओं के करीब 30,000 करोड़ रुपये लगा चुकी है लेकिन उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। 2007 से ही एयर इंडिया को मुनाफा नहीं हो रहा है। एयर इंडिया के अलावा सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस को और साथ ही एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज में अपनी 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की संभावना तलाश रही है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दावोस में गुरुवार को कहा था कि अगर वे मंत्री नहीं होते तो एयर इंडिया के लिए बोली लगाते। उनके इस बयान से संभावित बोलीदाताओं के बीच अच्छा संकेत गया है।
एयर इंडिया के पास दुनिया भर में बेहतरीन द्विपक्षीय करार हैं और यह दक्ष विमानन कंपनी है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यन स्वामी एयर इंडिया की बिक्री का विरोध कर रहे हैं, और विमानन कंपनी के कर्मचारी संगठन भी इसके विरोध में हैं।