-दीपक रंजन दस
मध्यप्रदेश भाजपा का एक मंत्री सेना की एक अधिकारी को आतंकवादियों की बहन बताता है। पुलिस प्रशासन कुछ नहीं करता। फिर हाईकोर्ट मामले का स्वत: संज्ञान लेता है और पुलिस एक लचर सी एफआईआर दर्ज करती है। हाईकोर्ट को इसके बाद सख्ती करनी पड़ती है। आरोपी इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है जहां उसका माफीनामा तो कबूल नहीं होता पर उसकी गिरफ्तारी पर रोक लग जाती है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के कहने पर एसआईटी जांच होगी। सवाल यह है कि यदि राहुल गांधी या कांग्रेस के किसी भी दूसरे नेता ने यही बात कही होती तो क्या होता? वह पेड सोशल मीडिया पर ट्रोल होता। उसे गिरफ्तार कर लिया जाता। उसकी सांसदी या विधायकी चली जाती। मंत्री होता तो पद चला जाता। पुलिस गिरफ्तार करने के लिए घर तक चली आती। ऐसे कई मामलों में हमने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को नेस्तनाबूद होते देखा है। दरअसल, देश में दो तरह के लोग रहते हैं। एक जिनमें फालतू की बातों में यकीन करने और अपनी भक्ति सिद्ध करने की जिद है और दूसरे वो जिनकी अंतरात्मा अभी मरी नहीं है। उनमें सोचने-समझने की शक्ति थी और वे उसे अभिव्यक्त भी करते थे। ऐसे लोगों पर अब फोकटिया बुद्धिजीवी का टैग लग गया है। जिस देश को कथित तौर पर अपने गौरवशाली अतीत, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान पर गर्व है, उसे अब तर्कशील लोग नहीं चाहिए। भाजपा के मंत्री शाह ने 11 मई को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा था, ‘उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा, कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। देश का मान-सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेजकर ले सकते हैं।’ जाहिर है कि वो आतंकवादियों को पाकिस्तान से नहीं बल्कि मुसलमानों से जोड़ कर देख रहे थे। बावजूद इसके मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार और वहां की पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं थी। जब पूरा देश एकजुट होने का संदेश दे रहा था तब वह हिन्दू मुसलमान कार्ड खेल रहा था। शाह के माफी मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा कि कभी-कभी माफी बचने के लिए मांगी जाती है, तो कभी ये मगरमच्छ के आंसू जैसी होती है। आपने भद्दे कमेंट किये, अब आपकी माफी का क्या मतलब? बदतमीजी और हल्की बातों का शाह से पुराना नाता रहा है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पत्नी से लेकर राहुल गांधी तक के खिलाफ वह बकवास करता रहा है। इसके बाद भी न केवल वह पार्टी में है, बल्कि पार्टी टिकट पर विधायक भी है और मंत्री भी। यही तो है संस्कार और संस्कृति का दोगलापन।
