जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन से नक्सली बैकफुट पर हैं। एक सप्ताह के भीतर नक्सलियों ने दूसरी बार शांति वार्ता की अपील की है। नक्सलियों की उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो प्रभारी रूपेश ने प्रेस नोट जारी कर प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा से बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने की बात कही है। प्रेसनोट के माध्यम से स्पष्ट कहा गया है कि शांति वार्ता के अनुकूल माहौल बनाए हम पूर्ण युद्ध विराम कर देंगे। शांति वार्ता के प्रस्ताव पर गृहंमत्री विजय शर्मा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सरकार नक्सलियों से बातचीत को तैयार है वे हथियार डाले और सामने आए।

बता दें छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे के लिए 31 मार्च 2026 की डेड लाइन तय है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ भाजपा की सरकार बनने के बाद मंच से इसकी घोषणा की थी। शाह की घोषणा के बाद सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन तेज कर कर दिया। नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ एनकाउंटर को अंजाम दिया जा रहा है। 2025 में ही अब 11 एनकाउंटर हो चुके हैं और इसके 142 नक्सली मारे जा चुके हैं। यही नहीं एनकाउंटर के डर से बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर भी कर रहे हैं। कहीं न कहीं नक्सली भी अब मानने लगे हैं कि शांतिवार्ता के माध्यम से इन एनकाउंटर को रोका जा सकता है और इसके लिए वे अब शांति वार्ता चाह रहे हैं।

गृहमंत्री ने कहा- हथियार छोड़े और सामने आएं
इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार नक्सलियों से बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास नक्सलियों के पुनर्वास के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी नीति है। साथ ही उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे हथियार छोड़कर सामने आएं और बातचीत का रास्ता अपनाएं। गृह मंत्री शर्मा ने कहा, “अगर कोई एक व्यक्ति भी बातचीत के लिए तैयार है तो सरकार भी तैयार है। चाहे वह छोटा समूह हो या बड़ा, सरकार हर स्तर पर चर्चा के लिए तत्पर है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में की जा रही है। हालांकि, गृह मंत्री ने यह भी कहा कि बंदूक के जवाब में केवल चर्चा नहीं की जा सकती, जरूरत पड़ने पर सरकार कड़ी कार्रवाई भी करेगी। उन्होंने नक्सल संगठन की ओर से आया पत्र “सही और प्रामाणिक” बताया। सरकार का मानना है कि शांति वार्ता के जरिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायित्व और विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। नक्सलियों से अपील की गई है कि वे किसी के इंतजार में समय न गंवाएं और वार्ता के लिए आगे आएं।

सप्ताह भर पहले भी की थी शांति वार्ता की मांग
करीब एक सप्ताह पहले भी नक्सलियों ने शांतिवार्ता की मांग की थी। नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी मेंबर अभय ने एक पर्चा जारी कर कहा था कि पिछले 15 महीने में उनके करीब 400 साथी मारे गए हैं। पर्चा जारी का सरकार से सशर्त शांतिवार्ता की पेशकस की। इस दौरान छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि सरकार शांति वार्ता के लिए तैयार है लेकिन उनकी कोई शर्त नहीं मानी जाएगी। सरकार ने आत्मसमर्पण के लिए पॉलिशी बनाई है और नक्सली स्वयं सरेंडर करें तो शांतिवार्ता भी होगी।
नक्सल विरोधी अभियान रोकने की मांग
प्रेस नोट के जरिए नक्सलियों के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश ने सरकार से नक्सल विरोधी अभियान रोककर अनुकूल माहौल बनाने की मांग की है। रूपेश ने कहा है कि शांतिवार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने संबंधित निर्णय लेने के लिए हम कुछ नेतृत्वकारी साथियों से मिलना चाहते हैं। नेतृत्व की राय लेनी भी जरूरी है। लगातार चल रहे हैं अभियानों के बीच में यह नहीं हो पाएगा। अनुकूल माहौल के लिए अभियान को रोकना जरूरी है। वार्ता की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। यह सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार की तरफ से इसका सकारात्मक संकेत मिलेगा तो हम इस पर काम शुरू करेंगे। पर्चे में यह भी लिखा है कि विजय शर्मा ने जो विषय उठाए हैं उन विषयों को वार्ता के एजेंडा में तय कर सकते हैं।
विकास विरोधी नहीं, सुचारू संचालन की है मांग
नक्सली लीडर रूपेश का कहना है कि नक्सली संगठन को विकास विरोधी के रूप में बताया जा रहा है। हम स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, राशन दुकान, पेयजल, बिजली का विरोध नहीं करते हैं। सुचारू रूप से संचालन करने की मांग किए थे। कर्मचारियों से बार-बार अपील किए थे, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर बात किए थे, अभी भी बात कर रहे हैं। पर्चे में यह भी लिखा है कि बस्तर से नेतृत्व दूसरे राज्य में भाग जाने की बात सही नहीं है। नेतृत्व अपनी जिम्मेदारियों के तहत आना-जाना करते हैं। पर्चे में लिखा है कि सरकार की तरफ से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्ध विराम अमल में आएगा। पर्चे में नक्सली लीडर ने अपने कमेटी के कमांडरों से कहा है कि शांतिवार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में हमारी गतिविधियां रहनी चाहिए। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार अभी तक हमारी मांग को नहीं मानी है। इसलिए सभी नियम और सावधानियां सतर्कता के साथ पालन करें। हम शिकार न बनें। सरकार के रुख पर आधारित होकर हम और स्पष्ट के साथ अपना बयान देंगे।

