रायपुर। केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ में दो नई रेल लाइनों को मंजूरी दी है। इनकी कुल लागत 18,658 करोड़ रुपए है। महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के 15 जिलों को कवर करने वाली ये चार परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 1247 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। जिसमें संबलपुर-जरापदा तीसरी और चौथी लाइन, झारसुगुड़ा-सासोन तीसरी और चौथी लाइन, खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा 5वीं और 6वीं लाइन तथा गोंदिया-बल्हारशाह दोहरीकरण शामिल है।
बहुत ही हर्ष का विषय है कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के खरसिया–नया रायपुर–परमालकसा नई रेल लाइन परियोजना को स्वीकृति मिली है। 8,741 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाली यह परियोजना, प्रदेश में रेल सुविधा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी। इससे बलौदाबाजार सहित अन्य क्षेत्रों को सीधी रेल कनेक्टिविटी मिलेगी और क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। प्रदेश में औद्योगिक विकास को रफ्तार मिलेगी, साथ ही रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। इस परियोजना की स्वीकृति हेतु आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी आपका सहृदय आभार।

इससे गतिशीलता में सुधार होगा जिससे भारतीय रेलवे के लिए बेहतर दक्षता और सेवा विश्वसनीयता प्राप्त होगी। ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएंगे और भीड़भाड़ को कम करेंगे जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढांचागत विकास होगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के विज़न के अनुरूप हैं। इन परियोजनाओं से क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगा, जिससे उनके रोज़गार, स्वरोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हो पाई हैं और लोगों की आवाजाही और वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।

इन परियोजनाओं के साथ 19 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा जिससे दो आकांक्षी जिलों (गढ़चिरौली और राजनांदगांव) में कनेक्टिविटी बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 3350 गांवों और लगभग 47.25 लाख आबादी की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा मार्ग से बलौदा बाजार जैसे नए क्षेत्रों को सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी जिससे क्षेत्र में सीमेंट संयंत्रों सहित नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की संभावनाएं बनेंगी।
ये कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 88.77 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन साधन होने के नाते रेलवे, जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात (95 करोड़ लीटर) को कम करने और सीओ 2 उत्सर्जन (477 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा जो 19 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।