-दीपक रंजन दास
छत्तीसगढ़ एनर्जी इंवेस्टर्स समिट सम्पन्न हो गया. सरकार को इस क्षेत्र में 3 लाख करोड़ का निवेश मिलेगा. सरकार ने इसके लिए कई बड़ी कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं. छत्तीसगढ़ की मौजूदा विद्युत उत्पादन क्षमता 30 हजार मेगावाट है जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. छत्तीसगढ़ अनेक राज्यों को बिजली संयंत्रों के लिए कोयला उपलब्ध कराता है. हसदेव जंगलों का विवाद इसी से जुड़ा है. कोयला निकलता है तो जंगल कटते हैं. ताप विद्युत संयंत्र नदी जल स्रोतों पर भी दबाव बनाते हैं. इसलिए इस बार न्यूक्लियर, सौर और पंप स्टोरेज जैसे सेक्टर को बढ़ावा देने की कोशिशें की गई हैं. सरकार का दावा है कि इससे प्रदेश के लोगों को सस्ती बिजली मिल सकेगी. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि सौर ऊर्जा को बढ़ावा मिल रहा है. जिंदल पावर और एनटीपीसी ग्रीन मिलकर 10,000 करोड़ रुपए की लागत से 2500 मेगावाट सौर बिजली का उत्पादन करेंगे. इसमें डोलेसरा में 500 मेगावाट और रायगढ़ में 2000 मेगावाट के सौर प्लांट शामिल होंगे. राज्य की प्रमुख बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी 80,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 4200 मेगावाट क्षमता का न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट लगाने जा रही है. इसके अलावा, 57,046 करोड़ रुपए की लागत से 8700 मेगावाट क्षमता के स्टोरेज प्रोजेक्ट भी शुरू होंगे. यहां तक तो सबकुछ ठीक है. बिजली की जरूरत बढ़ रही है. आबादी बढ़ रही है. प्रति व्यक्ति खपत भी बढ़ रही है. बिजली के उपकरण बढ़ रहे हैं. बिजली तो चाहिए. लट्टू वाले बल्द की जगह एलईडी लाइट्स के आने से रोशनी के लिए बिजली की जरूरत कम हुई है पर रसोई में, स्नानघर में बिजली की खपत तेजी से बढ़ी है. चार दशक पहले के भिलाई में लोग घर की पक्की छतों पर पानी भरते थे. फिर आया विंडो कूलर और अब हर तीसरे मकान में एसी लगा हुआ है. गर्मी लगातार बढ़ रही है. गर्मी सहने की क्षमता कम हो रही है. ताप विद्युत संयंत्र बिजली तो देते हैं पर पर्यावरण भी बिगाड़ते हैं. एनर्जी इन्वेस्टर्स समिट में ताप विद्युत परियोजनाओं में भी बड़ा निवेश आया है. अडाणी पावर लगभग 66.7 हजार करोड़ का निवेश करने जा रहा है. वह कोरबा, रायगढ़ और रायपुर में 1600-1600 मेगावाट के 3 थर्मल पावर प्लांट लगाएगा. जिंदल पावर रायगढ़ में 1600 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 12.8 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने जा रहा है. सरदा एनर्जी रायगढ़ में 660 मेगावाट क्षमता का ताप विद्युत संयंत्र लगाएगी. एनटीपीसी और सीएसपीजीसीएल 41,120 करोड़ रुपए की लागत से 4500 मेगावाट बिजली उत्पादन करेंगी. जाहिर है कि निजी क्षेत्र को सरकार लाल गलीचा बिछाकर देगी. सरकार ने इन संयंत्रों के लिए बड़े-बड़े वायदे भी किये होंगे. अर्थात ये पर्यावरण बिगाड़ेंगे और सरकार विरोध के हर स्वर को कुचल देगी. पहले पर्यावरण बिगड़ेगा, फिर बिजली आएगी और फिर लोग एसी लगाकर गर्मियों में जिन्दा रहने की कोशिश करेंगे. किया-धरा सब बराबर.
