-दीपक रंजन दास
तिहाड़ जेल अलग-अलग कारणों से हमेशा सुर्खियों में रहता है. 1990 के दशक में इस जेल में सुधारों की शुरुआत हुई. तब आने वाली खबरें रचनात्मकता से भरपूर होती थीं. पहली महिला आईपीएस किरण बेदी मई 1993 में दिल्ली जेल में महानिरीक्षक के रूप में तैनात हुईं थीं. उन्होंने तिहाड़ जेल में कई सुधारों की शुरुआत की, जिसे दुनिया भर में प्रशंसा मिली और 1994 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला. 2003 में, बेदी पहली भारतीय महिला बनीं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र में महासचिव के पुलिस सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया. पर अब जिन कारणों से यह जेल सुर्खियों में है वह बरबस शोले की याद दिलाता है. शोले की जेल में मशहूर कॉमेडियन असरानी जेलर की भूमिका में थे. हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं, हमारी जेल में सुरंग, आधे इधर जाओ – आधे ऊधर जाओ और बाकी मेरे पीछे आओ जैसे संवाद आज भी लोगों को याद हैं. अब तिहाड़ से अवकाश प्राप्त कर चुके पूर्व अधीक्षक ने अपना मुंह खोला है. उसने कहा कि सहारा कुमार सुब्रत राय जेल में अय्याशी करते थे. इशारों इशारों में बात करते हुए वे बताते हैं कि सुब्रत राय से मिलने प्रतिदिन 2-3 एयर होस्टेस आती थी जो घंटों उनके साथ रहती थीं. अब इस दौरान वे क्या करती हैं, इसे उसने लोगों के विवेक पर छोड़ दिया. उसने बताया कि जेल में सुब्रत के कमरे से शराब की बोतलें भी मिली थीं. उसने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से इसकी शिकायत की गई थी. उन्होंने इसका वीडियो बनाने के लिए कहा था. इसे कहते हैं बहती गंगा में हाथ धोना. केजरीवाल एक ही समय पर अनेक आरोपों का सामना कर रहे हैं. एक-आध आरोप और सही. पर आरोप लगाने से पहले देख तो लेते कि बोल क्या रहे हैं. आप तिहाड़ के जेल अधीक्षक थे. सुब्रत के सेल में शराब की बोतलें मिलीं. बोतलें अंदर कैसे पहुंची? इसे रोकना किसकी जिम्मेदारी थी? लड़कियां आकर मिलती थीं. लड़कियों को कौन आने देता था? जाहिर है कि सीएम उन्हें अपने साथ तो लेकर आते नहीं थे. वैसे भी सुब्रत को एक सेक्रेटरी अपने साथ रखने की छूट अदालत के आदेश पर मिली हुई थी. यह भी किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि वीआईपी कैदियों से जेल के कर्मचारी कितना लाभांवित होते हैं. अकेले तिहाड़ ही क्यों देश के अधिकांश जेलों में पैसों के ऐवज में सुविधाएं मिलती हैं. जेल के अंदर शराब और बोटी-शोटी पहुंचाई जाती है. खास कैदियों के पास टीवी और मोबाइल फोन होता है. इसे रोकना खुद उसी आदमी की जिम्मेदारी थी जिसने यह आरोप लगाया है. लगता है उसके दिमाग में गंद भरी हुई है. इस तरह के लोग नर्स, एयर होस्टेस, बार गर्ल्स, डांसर्स को अच्छी नजरों से नहीं देखते. अच्छा होता कि वह अपना काम मुस्तैदी से करता और केजरीवाल पर यह बम तब फोड़ता जब वो सीएम थे.
Gustakhi Maaf: इस जेल अधीक्षक ने शोले की याद दिला दी
