-दीपक रंजन दास
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ने एक बार फिर इतिहास लिखा है. पहली बार किसी किन्नर को महापौर चुनकर सुर्खियों में आने वाले रायगढ़ ने अब एक चायवाले को महापौर की कुर्सी पर बैठाया है. बिलासपुर राजस्व संभाग में रायगढ़ जिला छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे पूर्वी भाग में स्थित है. यह उत्तर में सरगुजा और जशपुर जिलों, पूर्व में उड़ीसा, दक्षिण में महासमुंद जिले और पश्चिम में कोरबा और जांजगीर-चांपा जिलों से घिरा हुआ है. भौगोलिक दृष्टि से, यह जिला उत्तर में पंड्रापट और खुरिया के ऊंचे जंगल से ढके पठार से लेकर दक्षिण में रायगढ़ और सारंगढ़ के वृक्षविहीन, धूल भरे मैदानों तक फैला हुआ है. रायगढ़ ‘ढोकरा कास्टिंग’ या ‘बेल मेटल कास्टिंग’ और दो प्रकार के रेशम अर्थात् तसर सिल्क और शहतूत सिल्क के लिए जाना जाता है. औद्योगिक इकाइयों की बात करें तो यहां जिंदल का स्पंज आयरन प्लांट भी है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इस बार यहां से अपने निष्ठावान कार्यकर्ता जीवर्धन सिंह चौहान को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया था. जीवर्धन ने करीब 34 हजार मतों के बड़े अंतर से कांग्रेस के प्रत्याशी जानकी काटजू को चुनाव में हराया है. सातवीं तक शिक्षित जीवर्धन चाय और पान की दुकान चलाते हैं. महापौर प्रत्याशी के रूप में नाम की घोषणा के साथ ही जीवर्धन की तुलना देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से होने लगी थी. जब एक चायवाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो महापौर क्यों नहीं? प्रचार के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री जीवर्धन से मिलने उनकी चाय की दुकान पर ही जाते थे. मंत्रियों ने वहां चाय बनाई भी और लोगों को पिलाई भी. इस सबसे परे आते हैं जीवर्धन पर. सीधे सादे सरल प्रकृति के जीवर्धन पार्टी के एक समर्पित कर्मठ कार्यकर्ता भी हैं. 29 वर्षों से वो पार्टी की सेवा कर रहे हैं. 1996 में पार्टी से जुड़ने बाद वे वार्ड अध्यक्ष, भाजयुमो नगर मंत्री, भाजयुमो नगर इकाई उपाध्यक्ष बने और फिर नगर मंत्री बने. 2011 में उन्हें नगर अध्यक्ष बना दिया गया. 2019 से 2024 तक हुए चुनावों में वे शक्ति केन्द्र समन्वयक भी रहे पर कभी चाय की दुकान नहीं छोड़ी. जीवर्धन राजनीति में आने वाले युवाओं को भी राह दिखाते हैं. राजनीति में प्रवेश करने के बाद भी न तो उन्होंने अपनी सरलता छोड़ी और न ही अपना काम. लगभग तीन दशक की उनकी तपस्या अब जाकर रंग लाई है. महापौर प्रत्याशी घोषित होने के बाद भी वे अपनी चाय की दुकान पर ही मिलते. लोग यहीं आकर उनसे मिलते. उनकी इस सरलता और कर्मठता का लाभ पार्टी को भी मिला. रायगढ़ शहर परिवर्तन लाने का भी साहस रखता है. इससे पहले रायगढ़ के मतदाताओं ने 2014 के नगरीय निकाय चुनाव में तृतीय लिंग समुदाय की मधु बाई को महापौर की कुर्सी पर बैठाया था. वे निर्दलीय प्रत्याशी थीं. जहां जनता जागरूक होगी वहां प्रत्याशी चयन अपने आप महत्वपूर्ण हो जाता है. भाजपा ने यही किया.
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