रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा के उपचुनाव को लेकर बिसात बिछ चुकी है। अब भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार किया जा रहा है। भाजपा ने जहां आंतरिक सर्वे के आधार पर सामने आए 6 नामों में से 3 नामों का पैनल बनाकर आलाकमान को भेज दिया है, वहीं कांग्रेस में प्रत्याशी चयन की कवायद कल 20 अक्टूबर से प्रारम्भ होने जा रही है। कांग्रेस का रविवार को कार्यकर्ता सम्मेलन आहूत किया गया है। इस सम्मेलन में प्रत्याशी के नाम पर आम सहमति बनाने की कोशिश होगी। इसके बाद जो भी नाम सामने आएंगे, उन्हें दिल्ली भेज दिया जाएगा। भाजपा क्योंकि यह काम पहले ही कर चुकी है, इसलिए संभावना जताई जा रही है कि वह कल यानी रविवार को अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। हालांकि पार्टी के प्रादेशिक नेताओं में फिलहाल इसे लेकर एकराय नहीं है। राज्य निर्माण के बाद की बात करें तो रायपुर दक्षिण सीट का इतिहास बेहद रोचक रहा है। यहां भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने लगातार 8 बार जीत दर्ज की है, वहीं हर बार निर्दलीय चुनाव लडऩे वालों की जमानत जब्त हुई है।

राज्य की इकलौती रायपुर दक्षिण सीट पर चुनावी बिगूल बजने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। फिलहाल दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस में प्रत्याशियों का इंतजार है। उम्मीद की जा रही है कि दोनों ही दल नामों को लेकर ज्यादा विलम्ब नहीं करेंगे। भाजपा में एक या दो दिन के भीतर प्रत्याशी घोषित करने की खबरें आ रही है, वहीं कांग्रेस भी 24 तारीख तक अपने प्रत्याशी का ऐलान कर सकती है। कांग्रेस ने 20 अक्टूबर को आशीर्वाद भवन, रायपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया है, जिसमें प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी शिरकत करेंगे। इसके बाद प्रत्याशी के नाम पर सहमति बनाने के लिए प्रदेश चुनाव समिति की बैठक होगी, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं और प्रभारियों से फीडबैक लिया जाएगा। पहली बैठक में ही आम सहमति बनाकर पैनल सीधे शीर्ष नेतृत्व के पास भेजा जाएगा।
भाजपा की ओर से तीन नाम तय
भाजपा ने हाल ही में तीन नामों का पैनल दिल्ली भेजा था। लेकिन कहा जा रहा है कि आलाकमान इन नामों के अलावा भी कुछ अन्य नामों पर विचार कर सकता है। दरअसल, पार्टी के आंतरिक सर्वे के आधार पर 6 नाम सामने आए थे, जिनमें से 3 नामों को उपयुक्त माना गया। वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद रायपुर शहर और ग्रामीण की दो विधानसभा सीट को बांटकर चार सीटें बनाई थी। बृजमोहन अग्रवाल ने जो जीत का सिलसिला शुरू किया वो सिलसिला 2024 तक जारी रहा। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्षेत्र में भाजपा के अपराजेय रहने का जो रिकार्ड बृजमोहन अग्रवाल ने बनाया है, वह कायम रहता है या कांग्रेस कोई करिश्मा करती है। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने इस बार उलटफेर का दावा किया है। उन्होंने कहा है कि इस बार कांग्रेस दक्षिण पर जीत का परचम लहराएगी।
कांग्रेस चाहती है मजबूत प्रत्याशी
क्षेत्र में इस बार का चुनाव पिछले चुनावों से अलग होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल के मैदान में होने से माहौल एकतरफा हो जाता था। उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी असहाय नजर आते थे। कार्यकर्ताओं में भी उत्साह नजर नहीं आता था। लोगों के बीच यही चर्चा रहती थी कि बृजमोहन अग्रवाल को हराना किसी के लिए भी टेढ़ी खीर है। बृजमोहन अग्रवाल के चुनावी प्रबंधन के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार करीब-करीब हथियार डालते नजर आते थे। इस बार भाजपा की ओर से नया प्रत्याशी रहेगा, ऐसे में कांग्रेस मजबूत प्रत्याशी उतारना चाहती है। इसके लिए पूरी गम्भीरता से कोशिशें जारी है। भाजपाई व्यूह को भेदने के लिए कांग्रेस की बैठकें लगातार चल रही है। प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज के साथ प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में शुक्रवार को पहले बूथ कमेटियों के प्रभारियों तथा इसके बाद दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। बैज ने दक्षिण विधानसभा के अंतर्गत आने वाले 253 बूथों के अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं से बूथ में उतरकर कड़ी मेहनत करने तथा भाजपा सरकार के 11 माह के कार्यकाल की विफलताओं को लोगों तक पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कार्यकर्ता सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने के लिए वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी।
जातिगत समीकरण में उलझी पार्टियां
भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अब तक अपने प्रत्याशी तय नहीं किए हैं। आंतरिक सूत्र बताते हैं कि दोनों ही पार्टियां जातिगत समीकरणों में उलझ गई हैं। हालांकि भाजपा प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के मामले में कांग्रेस से आगे है, लेकिन कहा जा रहा है कि रविवार को प्रत्याशी घोषित करने की संभावनाओं के बीच नाम की घोषणा में कुछ और विलम्ब भी संभव है। भाजपा कोरग्रुप व चुनाव प्रबंधन समिति तीन दिन पहले ही नामों का पैनल दिल्ली दरबार को भेज चुकी है। बावजूद इसके दिल्ली में फिलहाल कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही है। कहा जा रहा है कि पार्टी इस ऊहापोह में है कि प्रत्याशी चयन में अनुभव को प्राथमिकता दे या किसी नए चेहरे को सामने लाया जाए। दूसरी ओर कांग्रेस की नजर भाजपा द्वारा प्रत्याशी घोषित किए जाने पर है। इन सबसे अलग दोनों ही पार्टियों के मुख्य दावेदारों ने इंटरनेट मीडिया के साथ ही व्यक्तिगत संपर्क करते हुए अपना प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया है।
भाजपा-कांग्रेस में ही मुख्य मुकाबला
रायपुर दक्षिण सीट के इतिहास को देखें तो यहां राज्य निर्माण के बाद से भाजपा व कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है। दीगर दलों या निर्दलियों को यहां हमेशा मुंह की खानी पड़ी है। इस बार भी माना जा रहा है कि दोनों दलों के अलावा किसी अन्य का विकल्प क्षेत्र के मतदाता नहीं चुनेंगे। हालांकि यहां हुए अब तक के चुनावों को देखें तो बड़ी संख्या में निर्दलीय मैदान में उतरते रहे हैं। भाजपा के निर्विवाद और अजेय लीडर होने की वजह से बृजमोहन के रहते यहां कोई और प्रत्याशी सामने नहीं आया था, लेकिन इस बार भाजपा में ही बड़ी संख्या में लोगों ने दावेदारी की। इसकी एक प्रमुख वजह यह है कि इस सीट को जीत की गारंटी माना जाता है। भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता चाहता है कि उसे यहां से टिकट मिले, ताकि वह एकतरफा जीत हासिल कर सके। वहीं प्रदेश में भाजपा की सरकार होने की वजह से बहुत सारे लोग जीत की एकतरफा उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि भाजपा रायपुर दक्षिण उपचुनाव की कमान बृजमोहन अग्रवाल को ही सौपेंगी।