नई दिल्ली। हरियाणा और जम्मू कश्मीर ने चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं। जहां हरियाणा में भाजपा तीसरी बार जीत की ओर अग्रसर है तो वहीं जम्मू-कश्मीर की बागडोर कांग्रेस गठबंधन संभालने जा रहा है। कांग्रेस ने यहां नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर एग्जिट पोल को नकारा है। माना जा रहा था कि दोनों राज्यों में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी और मेहबूबा मुफ्ती की पीडीपी सत्ता समीकरणों में अहम् रोल अदा करेंगे, लेकिन हरियाणा में जेजेपी का सूपड़ा पूरी तरह से साफ हो गया, वहीं जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) भी दहाई का आंकड़ा नहीं छू पाई। दुष्यंत चौटाला और इल्तिजा मुफ्ती (मेहबूबा मुफ्ती की बेटी) स्वयं चुनाव हार गए। यह पीडीपी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। दोपहर तक के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा को 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में से करीब 50 सीटें मिलती दिख रही है। वहीं 90 सीटों वाले जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस व नेकां गठबंधन बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर रहा है। नेशनल कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। उसे करीब 39 सीटों पर बढ़त है। वहीं कांग्रेस भी 8 सीटों पर आगे है। दोनों मिलाकर बहुमत के आंकड़े 46 को पार कर रहे हैं। वहीं भाजपा को करीब 26 सीटों पर बढ़त है, जिनमें से 25 सीटें सिर्फ जम्मू क्षेत्र से है। 2018 में भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद यहां पहली बार चुनाव हो रहे हैं। तब से लेकर अब तक यहां राष्ट्रपति शासन लगा रहा। इस दौरान केन्द्र की भाजपा गठबंधन सरकार ने धारा 370 और 34 ए को खत्म किया।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर में भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच वोटों की गिनती जारी है। जहां हरियाणा के शुरूआती रूझानों में कांग्रेस ने बढ़त बनाई, वहीं जम्मू कश्मीर में भाजपा दीगर दलों को कड़ी टक्कर देती नजर आई। हालांकि दोपहर होते-होते रूझान परिणामों में बदले तो दोनों राज्यों की सत्ता को लेकर स्थितियां स्पष्ट होती चली गई। जिस हरियाणा में कांग्रेस ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था, वहां भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सत्ता की ओर अग्रसर हो गई। हरियाणा में एक्जिट पोल कांग्रेस की सरकार बनते दिखा रहे थे, यहां कांग्रेस में कौन बनेगा मुख्यमंत्री की रेस चल रही थी। हालात इतने बिगड़े कि पार्टी हाईकमान को बीचबचाव करना पड़ा। आज सुबह भी जब प्रारंभिक रूझान आए तो कांग्रेस के सीएम पद के दावेदार स्वयं को आगे करते रहे। हालांकि नतीजे आने के साथ ही भाजपा ने जोरदार पलटवार किया और कांग्रेस चारों खाने चित्त हो गई। भाजपा ने यहां मुख्यमंत्री नवाब सिंह सैनी की अगुवाई में चुनाव लड़ा है, इसलिए इस बात की संभावना कम ही है कि पार्टी नेतृत्व यहां सीएम बदलेगा। पूरी संभावना यही है कि सैनी एक बार फिर हरियाणा की कमान संभालेंगे। हरियाणा में जिस तरह दुष्यंत चौटाला की जेजेपी पूरी तरह साफ हो गई, उसी तरह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी चित्त हो गई। खुद केजरीवाल यहां दमदार मौजूदगी के दावे कर रहे थे। क्योंकि हरियाणा और दिल्ली दोनों राज्य लगे हुए हैं, इसलिए हरियाणा के नतीजों का असर आने वाले समय में दिल्ली में नजर आ सकता है।
किसानों ने दिया भाजपा का साथ
देश के किसान लगातार आंदोलित रहे हैं और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लम्बी अवधि तक प्रदर्शन भी हुआ। इसकी अगुवाई हरियाणा के किसानों ने ही की थी। वहीं पंजाब के किसान भी इस आंदोलन में निर्णायक रहे। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो इसे किसानों की नाराजगी के साथ जोड़ा गया था, इसलिए हरियाणा के नतीजों को लेकर भी यही माना जा रहा था कि यहां भी किसानों की नाराजगी का लाभ दीगर दलों, खासतौर पर कांग्रेस को मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। हरियाणा के नतीजों के बाद अब यह कहा जा रहा है कि यहां के आम किसान, प्रदेश और केन्द्र की सरकार से नाराज नहीं था, बल्कि किसान संगठन के अगुवा लोगों ने ऐसा माहौल बना दिया था कि पूरा किसान वर्ग नाराज है। कम से कम हरियाणा के रूझान और परिणाम तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा को ज्यादातर शहरी सीटों पर जीत और बढ़त मिली है। ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों ने भाजपा के खिलाफ ही वोटिंग की है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पहले ही कहा था कि राज्य का किसान भाजपा से नाराज नहीं है।
वोट शेयर में कांग्रेस ने मारी बाजी
हरियाणा में दोपहर तक भाजपा करीब 50 सीटों के साथ आगे थी, वहीं कांग्रेस को भी करीब 34 सीटें पर बढ़त थी। हालांकि वोट शेयर के मामले में कांग्रेस ने बाजी मारते हुए भाजपा को पछाड़ दिया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, दोपहर तक कांग्रेस को 40.08 फीसदी वोट मिले हैं तो वहीं भाजपा को 39.06 प्रतिशत वोट मिले। हरियाणा की जुलाना विधानसभा सीट के रूझान सांसें थमा देने वाले आते रहे। यहां प्रारंभ में कांग्रेस प्रत्याशी व पहलवान विनेश फोगाट आगे थी, लेकिन फिर दोपहर तक ऐसे कई अवसर आए, जब वह कभी पीछे तो कभी आगे होती रही। अंतिम समाचार मिलने तक विनेश फोगाट पीछे चल रही थी। चुनाव आयोग के अभी तक के रुझानों के मुताबिक, अंबाला कैंट से निर्दलीय चित्रा सरवारा, गनौर से निर्दलीय देवेंदर कादियान, हिसार से सावित्री जिंदल और बहादुरगढ़ से राजेश जून आगे चल रहे हैं।
फिर फेल हो गए एग्जिट पोल
हरियाणा में अब तक के नतीजों और रुझानों में सब एग्जिट पोल फेल होते नजर आ रहे हैं। रूझानों में भाजपा को बहुमत मिलता दिख रहा है। अगर रुझान नतीजों में बदले तो 2019 की तरह फिर से राज्य में एग्जिट पोल फेल साबित होंगे। रुझानों में भाजपा पूर्ण बहुमत के आंकड़े 45 को पार कर गई है और उसकी 48 से 50 के आसपास सीटें आती दिख रही है। जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं, 7 सीटों पर अन्य आगे है। ज्यादातर एग्जिट पोल हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती दिखा रहे थे। पोल ऑफ पोल्स में हरियाणा में कांग्रेस को 55, जबकि बीजेपी 25 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। लगभग सभी एक्जिट पोल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती दिखा रहे थे। गौरतलब है कि साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल ने अनुमान लगाया था कि भाजपा को 61 सीटें मिलेंगी जबकि कुछ एग्जिट पोल में 75-80 सीटों जीतने का भी अनुमान लगाया गया था। हालांकि नतीजे एग्जिट पोल से बिल्कुल अलग आए। भाजपा को 40 सीटों पर जीत मिली. वहीं कांग्रेस 31 सीटें जीतने में सफल रही। जो एग्जिट पोल के भाजपा के स्पष्ट बहुमत के अनुमान से उलट था। सी वोटर ने भी भाजपा के 72 सीटों जीतने की भविष्यवाणी की थी, जो गलत साबित हुई। वहीं, इस साल के लोकसभा चुनाव की बात करें तो अधिकांश एग्जिट पोल ने भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बंपर जीत की भविष्यवाणी की थी। साथ ही अनुमान लगाया था कि भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा सीटें जीतेगी जिसमें एनडीए को 361 से 401 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, एग्जिट पोल के परिणाम गलत साबित हुए. एनडीए को 293 सीटें मिलीं और भाजपा के खाते में 240 सीटें आईं।